दिवाली के मौके पर घर में मिट्टी के जलते दीये चार चांद लगाते हैं। लेकिन, इस बार दिवाली से पहले मिट्टी के दीयों के खरीदार नदारद हैं। सजावटी दीयों की खरीदारी को लेकर लोगों का रुझान ज्यादा है। बाजार में लाइट वाले तरह-तरह के दीयों की भरमार है। जिसके चलते मिट्टी के बर्तन बनाने वाले परिवार को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है वही एक और जहां कोरोना के चलते कमाई में कमी आ गई है वहीं दूसरी ओर त्योहारों पर भी इसका असर साफ नजर आ रहा है बात कर रहे हैं इंदौर के भागीरथपुरा क्षेत्र के कुम्हार गली की जहां मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों ने अपनी पीड़ा हमारे न्यूज़ चैनल रिपोर्टर को बताइए।
देशभर में एक तरफ कोरोना महामारी के चलते कई उद्योगों को नुकसान हुआ. वहीं भारत-चीन विवाद की वजह से अब कुछ उद्योगों को फायदा भी पहुंचने वाला है. इंदौर के भगीरथ पूरा स्थित कुम्हार कॉलोनी में मिट्टी के सामान बनते हैं और ये काम यहां करीब 40 सालों से हो रहा है. वहीं मिट्टी के सामानों का होल-सेल के अलावा रिटेल बाजार भी हैं. प्रदेश के विभिन्न जगहों से लोग इस बाजार से सामानों को खरीदने आते हैं.इस कॉलोनी में लगभग 100 परिवार रहते हैं ओर सभी इसी कारोबार से जुड़े हुए हैं। दीवाली के लिए तैयारियां गर्मियों के समय से शुरू हो जाती हैं लेकिन इस बार कोरोना की वजह से काफी नुकसान हुआ। लेकिन जहां तक रोशनी के इस पर्व का संबंध है, घरों में दीपोत्सव तो मनेगा ही. घरों में दिये तो जलेंगे ही मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार परिवारों को उम्मीद है की ऐसे में भारत-चीन विवाद और कोरोना संक्रमण के चलते व्यापार में एक बार फिर उठाव आएगा और जो नुकसान हुआ है उसके भरपाई भी हो सकती है।