
इंदौर में भिक्षा देने के मामले में पहली बार कानूनी कार्रवाई की गई है। भिक्षा देने वाले युवक और तीसरी बार भिक्षा मांगते पकड़ी गई महिला के पुत्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
युवक ने शहर में एक मंदिर के पास बैठी वृद्ध महिला को 10 रुपये दिए और अपने वाहन से चला भी गया, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग के भिक्षावृत्ति दल ने उसका वीडियो बना लिया और वाहन नंबर के आधार पर युवक के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई है।
इसके अतिरिक्त, एक चौराहा पर भिक्षा मांगते पकड़ी गई महिला भिक्षुक ने पूर्व में दो बार चेतावनी दिए जाने के बाद भी भिक्षावृत्ति नहीं छोड़ी।
इस पर महिला के पुत्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है, जिसने शपथपत्र दिया था कि वह अपनी मां को भिक्षा नहीं मांगने देगा।
इंदौर में लग चुका है प्रतिबंध
उल्लेखनीय है कि इंदौर में भिक्षा देने और मांगने, दोनों पर ही प्रतिबंध है। गत दो जनवरी को कलेक्टर आशीष सिंह ने भिक्षा मांगने और देने वाले दोनों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के निर्देश जारी किए थे।
भिक्षावृत्ति उन्मूलन दल अधिकारी फूल सिंह ने बताया कि गत 21 जनवरी की सुबह 10.15 बजे खंडवा नाका स्थित हनुमान मंदिर के बाहर बैठकर भिक्षा मांग रही एक भिक्षुक को वाहन संख्या- एमपी-09 एसजी 4361 के चालक युवक ने 10 रुपये बतौर भिक्षा दी और चला गया।
शर्त के साथ छुड़ाया था कि अब भीख नहीं मांगेंगे
भंवरकुआं चौराहा पर दूसरी कार्रवाई में टीम ने भावना नगर निवासी सोनाबाई को तीसरी बार भिक्षा मांगते पकड़ा।
टीम ने पूर्व में दो बार जब सोनाबाई को पकड़ा था तो उनके बेटे मुकेश ने शपथपत्र देकर इस शर्त के साथ सोनाबाई को छुड़ा लिया था कि वह कभी भिक्षा नहीं मांगेंगी।
ऐसे में, भारतीय नागरिक सुरक्षा अधिनियम 2023 की धारा 163 के तहत किए गए प्रतिबंधित आदेश का उल्लंघन करने पर शपथ पत्र प्रस्तुत करने वाले उनके पुत्र मुकेश के खिलाफ भी बीएनएस की धारा 223 के तहत प्रकरण दर्ज कराया गया है।
छह माह तक की सजा का प्रावधान
महिला व बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी आरएन बुधोलिया ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 223 के तहत, सरकारी आदेशों का उल्लंघन करने पर छह महीने तक की जेल और आर्थिक दंड भुगतना पड़ सकता है या फिर दोनों सजाओं का प्रविधान है। बुधौलिया के अनुसार, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा इंदौर को भिक्षामुक्त बनाने के लिए पिछले दिनों अभियान भी चलाया गया। पहले जागरूकता फिर भिक्षुकों को समझाइश दी गई। इसके बाद भिक्षावृत्ति में लिप्त लोगों का रेस्क्यू किया गया, लेकिन अब भिक्षा लेने और देने वाले दोनों लोगों पर प्रकरण दर्ज होना शुरू हो गया है।