रक्षाबंधन पर खजराना गणेश को बंधने वाली इस 40 बाय 40 साइज की राखी जो अष्ट धातु से निर्मित है। जिसमे देश मे बढ़ते प्रदूषण और बढ़ते तापमान को ध्यान में रखते हुए हरियाली को दर्शाती अष्टधातु से निर्मित 40 बाई 40 साइज की राखी का निर्माण किया गया है जिसमें कल्पवृक्ष पारिजात वृक्ष,पीपल,बरगद और नारियल के पेड़ की प्रतिकृति बनाई गई है जो राखी के दिन प्रथम पूजनीय भगवान खजराना गणेश को बांधी जाएगी।
इस राखी की विशेषता यह है कि इसमें सौराष्ट्र ( पालीताणा ) के कलाकारों के साथ – साथ पालरेचा परिवार के बच्चे से लेकर 55 साल की उम्र तक ने इस राखी को आकार दिया है। अष्ट धातु की राखी में सोना, चांदी, तांबा, पीतल, जस्ता के साथ-साथ नग नगीने भी लगाए गए है। वहीं कल्पवृक्ष के पत्तियों और फल पर स्वर्ण जरी का इस्तेमाल किया गया है।
दरअसल देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक पेड़ मां के नाम अभियान को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष पालरेचा परिवार द्वारा देश में हरियाली बढ़ाने और प्रदूषण को कम करने के के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए 40 बाई 40 इंच की 10 किलो वजनी राखी का निर्माण किया गया है जिसमे कल्पवृक्ष बनाया गया है जो स्वर्ण लताओं से लदागदा है इसके अलावा पारिजात वृक्ष नारियल,बरगद,पीपल व्रक्ष जो हमारे जीवन के लिए उपयोगी है और हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं उनकी प्रतिकृति इस बड़ी राखी में अंकित किया गया है। पुंडरीक पालरेचा ने बताया कि परिवार के 20 से 25 लोगों की मदद से दो माह की मेहनत से इसे तैयार किया गया है जो रक्षाबंधन के दिन प्रथम पूजनीय भगवान गणेश को बांधी जाएगी, इस बड़ी राखी के निर्माण के लिए कोलकाता, जयपुर, मुंबई,चेन्नई से कच्ची सामग्री मंगाई गई और यहां पर कुशल कारीगरों द्वारा परिवार के सहयोग से राखी का निर्माण किया गया।
पुंडरीक पालरेचा ने बताया कि 20 सालो से रक्षाबंधन पर खजराना गणेश और अन्य मंदिरों में यह राखी बांधने की परंपरा आज तक जारी है। खजराना गणेश मंदिर के साथ-साथ पंचकुइया स्तिथ वीर बगीची, महाकाल उज्जैन, मुबई सीधी विनायक, बड़ा गणपति मंदिर सहित शहर के मंदिरों में यह राखी बांधने की परंपरा जारी है। अष्ट धातु से निर्मित देश मे हरियाली को बढ़ावा देती ये राखी 19 अगस्त को प्रथम पूज्नीय भगवान खजराना गणेश को बांधी जाएगी।