जरा सोचिए,यदि आप किन्हीं दो अंकों की संख्या के अंकों को आपस में उलट दें तो दो अंकों के मान में बडा अंतर दिखाई देगा।साथ ही यदि इकाई का अंक बड़ा और दहाई का अंक छोटा हो तो उन्हें आपस में बदलने पर बहुत बड़ा अंतर हो जाता है।यदि आज अंकों के आधार पर ही प्रतिभा का आंकलन किया जा रहा हो,तो प्रतिभाशाली व्यक्ति निम्न दर्जे का हो जाता है।कुछ इसी तरह का मामला स्थानीय सैण्ट एस.आर.एस. पब्लिक हायर सैकण्डरी स्कूल की छात्रा सुरभि रघुवंशी पुत्री विजय रघुवंशी (पत्रकार) के साथ माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल द्वारा आयोजित कक्षा 12 वीं के परीक्षा परिणाम में देखने को मिला।
सुरभि ने आर्टस विषय से परीक्षा दी थी।जहां उसे 80 पूर्णांक में से अंग्रेजी में 75,हिन्दी में 75 ,राजनीति में 72, इतिहास में 73 अंक डिक्टेंशन (विशेष योग्यता) प्राप्त हुए। वहीं अर्थशास्त्र में मात्र 47 अंक ही दर्शाए गए थे। विद्यालय परिवार द्वारा उक्त अंकों पर अपनी असंतुष्टि जाहिर की गई थी,कि सुरभि के साथ ऐसा नहीं हो सकता। उसके अंक दर्शाए गए अंकों से कहीं ज्यादा होंगे।उन्हें सुरभि रघुवंशी का प्रदेश की मेरिट में आने का विश्वास था। विद्यालय एवं अभिभावक ने छात्रा के विश्वास पूर्ण आग्रह पर अर्थशास्त्र की कॉपी निकलवाई तो मूल्यांकन कर्त्ता द्वारा कॉपी पर 74 अंक दिए गए थे,लेकिन कम्प्यूटर की अंक तालिका में अंक दर्ज करते समय 74 के स्थान पर 47 अंक अंकित कर दिए गए। इस प्रकार उसके अंक सूची में 27 अंक कम दर्ज किए गए। जिससे प्रतिभाशाली मेरिट सूची की दावेदार सुरभि रघुवंशी को ना केवल मानसिक रूप से प्रताड़ित होना पड़ा,बल्कि जिला स्तरीय मेरिट में मिलने वाले प्रथम स्थान से भी वंचित होना पड़़ा।कॉपी निकलवाने पर सुधार तो हुआ है लेकिन इतने दिनों तक छात्र को मानसिक पीडा जरूर भुगतना पडी है। छात्रा सुरभि ने बताया कि उसे पूरा विश्वास था कि उसको दिए गए अंक गलत हैं।इस कारण कापी निकलवाने से स्थिति साफ हो गई है।