
इंदौर पिछले 30_ 40 सालों से राष्ट्रवाद का गढ़ बन चुका है, बीजेपी किसी को भी टिकट दे देती तो चुनाव वही जीतता। क्योंकि इंदौर की जनता राष्ट्रवाद और विकास दोनों को लेकर बहुत गंभीर होती है, इंदौर की जनता राष्ट्रवाद को लेकर भी कभी कंप्रोमाइज नहीं करती और विकास को लेकर भी कभी कंप्रोमाइज नहीं करती, और इन दोनों मामलों में बीजेपी का ट्रैकरिकॉर्ड इंदौर की जनता जानती है इसीलिए पिछले 40 सालों से बीजेपी को इंदौर से कोई हिला तक नहीं पाया, बीजेपी किसको टिकट दे चेहरा कौन हो यह मायने ही नहीं रखता इंदौर में, इंदौर राष्ट्रवादी विचारधारा का बहुत बड़ा गढ़ बन चुका है, मामला चाहे लोकसभा विधानसभा का हो या नगरी निकाय का सिर्फ मुस्लिम बहुल बस्तियों में ही कांग्रेसी अन्य कोई जीत सकता है, बाकी पूरे इंदौर के हिंदू कॉलोनियों में राष्ट्रवाद कूट कूट कर भरा है, इसलिए इंदौर नगरी निकाय की ऐतिहासिक जीत किसी व्यक्ति या चुनाव कैंपेन कि नहीं बल्कि इंदौर की जनता में कूट-कूट कर भरे राष्ट्रवाद की जीत है जो पिछले 40 सालों से इंदौर में भगवा फ़हराती आई है। हर चुनाव में इंदौर की जनता ने कभी भगवा को झुकने नहीं दिया। मैं इसीलिए कह रहा हूं इंदौर की ऐतिहासिक जीत इंदौर की पीढ़ी दर पीढ़ी से राष्ट्रवाद की परंपरा निभाती आई, इंदौर की राष्ट्रवादी जनता की जीत है।
इंदौरियो से सीखने की जरूरत है कि विचारधारा पर वर्षोतक हर परिस्थिति में कैसे डटा रहा जाता है।शुभकामनाएं इंदौरियो। वाकई में तुम पोहे जलेबी खाने मैं ही नहीं बल्कि निर्णय लेने में भी बहुत आगे हो।