
UN की ‘द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड 2022 रिपोर्ट में दुनिया के एक चौथाई कुपोषित भले ही हमारे देश में हों, लेकिन एक बड़ा सच ये भी है कि भारत खाद्य संकट से जूझ रहे दर्जनों देशों को रोटी खिलाता है। केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने बताया है कि भारत दुनिया के उन दर्जनों मित्र राष्ट्रों को 18 लाख टन गेहूं भेजता है, जहां खाद्य संकट है।
भारत ने इस सप्ताह अफगानिस्तान को 10,000 अतिरिक्त टन की आपूर्ति करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत किए किए गए इस समझौते के बाद हमारा कुल शिपमेंट 50,000 टन हो गया। WEP ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक बयान में कहा कि अफगानिस्तान में लगभग 19 मिलियन लोग या आधी आबादी गंभीर खाद्य संकट का सामना कर रही है।
दरअसल, रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद विश्व में खाद्य संकट पैदा हो गया है। सबसे ज्यादा मुसीबत उन देशों में हुई, जो खाद्य पदार्थों का उत्पादन नहीं करते हैं। भारत सरकार ने ऐसे देशों के अनुरोध पर 13 मई के बाद 18 लाख टन गेहूं का निर्यात किया है। दरअसल, भारत ने 13 मई को गर्मी के बाद पैदावार पर 5% की कमी आने के बाद गेहूं के निजी निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा- जिन देशों में गेहूं भेजा गया उनमें बांग्लादेश, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात और अफगानिस्तान प्रमुख हैं। निर्यात पर प्रतिबंध लागू होने के बाद से भारत ने भी लगभग 1 लाख टन गेहूं बांग्लादेश को भेज दिया है। इंडोनेशिया ने भी निर्यात प्रतिबंध के बाद इतनी ही मात्रा में आयात किया है।
पिछले महीने खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि भारत गेहूं का प्रमुख निर्यातक नहीं है, लेकिन यह खाद्य संकट का सामना कर रहे मित्र देशों को हम गेहूं की आपूर्ति करते रहेंगे। बता दें, G7 देशों के समूह ने भारत के गेहूं निर्यात पर रोक लगाने पर कहा था कि इससे वैश्विक संकट बढ़ेगा।
UN की रिपोर्ट: दुनिया के एक चौथाई कुपोषित भारत में
UN की ‘द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड 2022 रिपोर्ट’ के अनुसार 2019 के बाद लोगों का भूख से संघर्ष तेजी से बढ़ा है। 2021 में दुनिया के 76.8 करोड़ कुपोषण का शिकार पाए गए, इनमें 22.4 करोड़ (29%) भारतीय थे। यह दुनियाभर में कुल कुपोषितों की संख्या के एक चौथाई से भी अधिक है। 2019 में दुनिया में 61.8 करोड़ लोगों का भूख से सामना हुआ था, वहीं 2021 में यह संख्या बढ़कर 76.8 करोड़ हो गई। यानी, सिर्फ 2 साल में 15 करोड़ (24.3%) लोग बढ़ गए, जिन्हें एक वक्त का खाना नसीब नहीं हुआ।

बीते दो साल में भुखमरी की रफ्तार तेज हुई
UN की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, 2004-06 में 24 करोड़ आबादी कुपोषित थी। इन्हें या तो एक वक्त का खाना नहीं मिल पाया था या इनके भोजन में पौष्टिक तत्व 50% से कम थे। दुनिया में भुखमरी तो पिछले 15 साल से लगातार बढ़ रही है, लेकिन इसकी रफ्तार पिछले दो साल में तेज हुई है।
दूसरी ओर, भारत की स्थिति में थोड़ा सुधार देखने को मिला है। भारत में 15 साल पहले 21.6% आबादी कुपोषण का शिकार थी, अब 16.3% आबादी को भरपेट पौष्टिक खाना नहीं मिल पा रहा है।