
अमेरिकी संसद ने भारत को उन प्रतिबंधों में छूट दिए जाने का समर्थन किया है, जो रूस से एस-400 डील के बाद लगाए गए हैं। संसद का कहना है कि चीन के साथ लड़ाई में हमें भारत के साथ खड़ा होना चाहिए। यह संशोधन गुरुवार को सर्वसम्मति से ध्वनि मत से पारित हुआ है। इस दौरान संसद में नेशनल डिफेंस ऑथोराइजेशन एक्ट पर चर्चा की जा रही थी।
इस प्रस्ताव को भारतीय-अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने पेश किया था। उन्होंने बाइडेन प्रशासन से अपील की कि चीन जैसे आक्रामक देशों से निपटने में मदद करने के लिए भारत को CAATSA (काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट) से छूट मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को काट्सा के प्रतिबंधों से छूट दिए जाने से अमेरिका को फायदा होगा।
क्या है CAATSA
काट्सा (CAATSA) एक कठोर अमेरिकी कानून है जो अमेरिकी प्रशासन को यह अधिकार देता है कि उन देशों पर प्रतिबंध लगाए जाएं जो रूस से प्रमुख रक्षा उपकरण खरीदती हैं। 2014 में रूस की तरफ से क्रीमिया पर कब्जा किए जाने और 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में रूस के कथित हस्तक्षेप के जवाब में अमेरिका ने यह कानून बनाया था।
भारत ने साइन की थी 5 अरब डॉलर की डील
अक्टूबर 2018 में भारत ने रूस के साथ एस-400 मिसाइल खरीदने की डील साइन की। इसके तहत 5 अरब डॉलर में भारत को एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की पांच यूनिट मिलनी थीं। उम्मीद है कि अप्रैल 2023 तक पांचों यूनिट पूरी तरह डिलीवर हो जाएगी। ये सिस्टम 400 किलोमीटर की रेंज में दुश्मन की मिसाइल, ड्रोन और एयरक्राफ्ट पर हवा में ही हमला कर सकता है।

भारत-रूस की इस डील पर अमेरिका जता चुका है आपत्ति
अमेरिका S-400 की खरीदी का हमेशा से विरोध करता रहा है और इस सिस्टम को खरीदने वाले देशों पर वो पाबंदी लगा देता है। अमेरिका ने 2020 में तुर्की पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। तुर्की ने भी रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदा है।
S-400 सिस्टम क्या है?
S-400 एक एयर डिफेंस सिस्टम है, यानी ये हवा के जरिए हो रहे अटैक को रोकता है। ये दुश्मन देशों के मिसाइल, ड्रोन, राकेट लॉन्चर और फाइटर जेट्स के हमले को रोकने में कारगर है। इसे रूस के एलमाज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो ने बनाया है और दुनिया के बेहद आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम में इसकी गिनती होती है।

आखिर इसमें क्या है खास
- S-400 की सबसे बड़ी खासियत इसका मोबाइल होना है। यानी, रोड के जरिए इसे कहीं भी लाया ले जाया जा सकता है।
- इसमें 92N6E इलेक्ट्रॉनिकली स्टीयर्ड फेज्ड ऐरो रडार लगा हुआ है जो करीब 600 किलोमीटर की दूरी से ही मल्टिपल टारगेट्स को डिटेक्ट कर सकता है।
- ऑर्डर मिलने के 5 से 10 मिनट में ही ये ऑपरेशन के लिए रेडी हो जाता है।
- S-400 की एक यूनिट से एक साथ 160 ऑब्जेक्ट्स को ट्रैक किया जा सकता है। एक टारगेट के लिए 2 मिसाइल लॉन्च की जा सकती हैं।
- S-400 में 400 इस सिस्टम की रेंज को दर्शाता है। भारत को जो सिस्टम मिल रहा है, उसकी रेंज 400 किलोमीटर है। यानी, ये 400 किलोमीटर दूर से ही अपने टारगेट को डिटेक्ट कर काउंटर अटैक कर सकता है। साथ ही यह 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर भी अपने टारगेट पर अटैक कर सकता है।