
मनुष्य के जीवन में तारीख का भी बहुत महत्व होता है, मानव जीवन में कुछ तारीखें बहुत कुछ दे जाती है तो कुछ ऐसी तारीखें भी होती है जब मानव अपने प्रेरणा पुंज महामानव को खो भी देता है…ओर पूरा जीवन बदल जाता है…
… मैने मेरे जीवन में कुछ महामानव-देवदूत देखे…जिनके कृतित्व को समूची देवी अहिल्या की नगरी के लाखों-लाख बाशिंदों ने खूब सम्मान और प्रेम दिया…यह चार महामानव इन्हीं दो तारीखों में पलक झपकते ही अलविदा हो गए…पहला नाम कैलाशवासी पूर्वमंत्री श्री लक्ष्मण सिंह गौड़…दूसरा कुश्ती के क्षेत्र का बड़ा नाम जिन्हें देश भर में पहचाना जाता रहा स्व. श्री विष्णु उस्ताद…तीसरा नाम शहर की नब्ज- परख पत्रकारिता के पितृ पुरुष कहे जाने वाले वरिष्ठ पत्रकार आदरणीय श्री महेंद्र जी बाफना (बापू) और चौथा नाम युवा दिलों की धड़कन.. बेहद आकर्षक व्यक्तित्व के धनी मित्रों के लिए जीने वाले स्व.श्री अतुल जी शुक्ला… यही वह चार नाम रहे है जो अपने समय के दौरान अलग-अलग क्षेत्रों में खूब ख्याति अर्जित कर गए…और देवी अहिल्या की नगरी पर अपनी अमिट छाप छोड़ गए…
… इंदौर महानगर 11-12 फरवरी को इन चारों महारथियों के कृतित्व को याद करता है… प्रदेश भर में इन चारों शख्सियतों के चाहने वालों की एक लंबी फेहरिस्त है…जो किसी न किसी चौक-चौराहे…गलियारों में चर्चा करते मिल जाया करते है…दादा श्री लक्ष्मण सिंहजी एक मौन साधक… हिंदु समाज के भीतर एक कुशल संगठक बतौर यादों में बने हुए है वहीं श्री विष्णु उस्ताद कुश्ती कला के साथ-साथ एक बड़े समाज सुधारक के रूप में पहचाने जा रहे है…वो कभी कहते थे हम तो समाज को सुधारते-सुधारते कब आसामाजिक हो गए… पता ही नहीं चला….यहीं नहीं ताउम्र फील्ड की पत्रकारिता के पुरोधा बने रहे बापू महेंद्र बाफना जी का नाम पत्रकारिता के क्षेत्र में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जा चुका है… बस कुछ ऐसा ही अंदाज वरिष्ठ नेता पंडित कृपाशंकर शुक्ला के सुपुत्र श्री अतुल शुक्ला का रहा है उन्हें याद कर उनके चाहने वालों के आखों से बरबस ही अश्रुधाराएँ बह जाती है…इन चारों महामानवों को आज भी शहर भूल नहीं पा रहा हैं, जबकि ब्रम्हलीन हुए इन महामानवों में किसी को दो…किसी को डेढ़.. तो किसी को एक…तो किसी को आधा दशक… होने को है….पर आज पुरानी के साथ-साथ नई पीढ़ी भी इन महामानवों बारे में ज्यादा से ज्यादा पता करने की कोशिश करती देखी जाती है…जानना चाहती है, लाखों लोगों के शहर में आखिर इन ख़ास लोगों में क्या था जो ना रहते हुए भी यादों में चिरस्थाई बने हुए है….
इन दो दिनों में ब्रम्हलीन हुए इन चार महामानवों को विनम्र श्रद्धांजलि…