दृष्टिहीन बालिकाओं के सर्वांगीण विकास एवं उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विभिन्न आयाम स्थापित कर रही सामाजिक संस्था महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ ने हर वर्ष की भांति इस नवरात्र भी संस्था की उन बालिकाओं की रंगारंग गरबा प्रस्तुति कराने जा रहा है जो दृष्टिबाधित होते हुए भी सामान्य बच्चों से कम नहीं है अपनी तरह के इस अनूठे आयोजन में सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति भी संस्था की बालिकाएं द्वारा दी गई जिसे देख दर्शक भी कह उठे वाह,,
महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ के उपाध्यक्ष मैं इस आयोजन को लेकर कहा कि गरबों की परंपरा हमारे देश में गुजरात से आई है और गरबा हमारे देश का राष्ट्रीय पर्व की तरह हो गया है, इस को देखते हुए महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ द्वारा दृष्टिहीन कन्याओं के लिए हर वर्ष गरबा का आयोजन किया जाता है क्योंकि इसमें बहुत मेहनत का काम है जो उन्होंने देखा नहीं होता है गरबा किस प्रकार से होता है क्या होता है गरबा प्रशिक्षक द्वारा इन्हें समझाया जाता है इस आधार पर यह दृष्टिहीन बालिका वाले का गरबा करती है। इस गरबे करने का मुख्य उद्देश्य यह कि ऐसी बालिकाओं को मुख्यधारा में जोड़ना मुख्य उद्देश्य है दृष्टिहीन बालिका अपने आप को उन बालिकाओं से अलग ना समझे जो आम बालिका कर सकती है,।
दृष्टिबाधित बालिका को गरबे के स्टेप समझाना और उन्हें तैयार करना बड़ी चुनौती होती है, फिर भी मात्र 2 से 3 दिन की प्रैक्टिस में यहां गरबा करती है और एक एक स्टेप इतने अच्छे तरीके से करती है कि नॉर्मल बच्चियां भी पीछे हो जाये, दर्शकों को भी दांतो तले उंगली दबा लेते हैं। हालांकि आयोजक ने बताया कि पूरे नवरात्र आयोजन नहीं हो पाता है लेकिन 9 दिनों में 1 दिन ऐसा विशेष दिया जाता है जिसमें इन सभी बच्चियों को गरबे के लिए तैयार किया जाता है।