
अश्लीलता, आनलाइन जुआ, आपत्तिजनक कंटेंट रोकने के लिए क्या इंतजाम हैं
मप्र हाई कोर्ट ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि उनके पास इंटरनेट पर परोसी जा रही अश्लीलता, आनलाइन जुआ और आपत्तिजनक कंटेंट को रोकने के क्या इंतजाम हैं। इस संबंध में दायर जनहित याचिका में सोमवार को सुनवाई हुई
मीडिया कंपनियों की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी उपस्थित हुए। उन्होंने तर्क रखा कि मामला जनहित का नहीं है इसलिए जनहित याचिका खारिज की जाए। कोर्ट ने तर्कों से असहमत होते हुए कहा कि इंटरनेट पर उपलब्ध कराए जा रहे आपत्तिजनक कंटेंट समाज और देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं। मामला जनहित से जुड़ा हुआ है। मामले में अगली सुनवाई जुलाई के दूसरे सप्ताह में होगी।
हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका संस्था मातृ फाउंडेशन की ओर से एडवोकेट अमेय बजाज ने दायर की है। कहा है कि इंटरनेट प्लेटफार्म पर ऑनलाइन जुआ, आर्थिक धोखाधड़ी सिखाई जाती है। इससे लोगों की निजता भंग हो रही है। ये प्लेटफार्म साम्प्रदायिक हिंसा फैलाने से जुड़े आपत्तिजनक कंटेंट फैलाते हैं। इन पर अश्लीलता भरे फोटो व वीडियो की भरमार है। कॉपीराइट व ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने के साथ-साथ ये प्लेटफार्म सरकार, सुरक्षा बल, न्यायपालिका व देश की धरोहरों का मजाक बना रहे हैं। सोमवार को कोर्ट ने केंद्र सरकार और इंटरनेट मीडिया कंपनियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।