यानी एसटीपी की मदद से किया गया उपचारित पानी तालाबों में जाना शुरू हो गया है…इसके साथ कि ट्रीटेड पानी को रीजनल पार्क तालाब भी छोड़ना शुरू कर दिया गया है…यह पहला मौका है जब ट्रीटेड वाटर की मदद से तालाबों को रिचार्ज किया जा रहा है
इंदौर में पहली बार तालाबों को भी रिचार्ज करने का काम शुरू किया जा चुका है…यह पहला मौका है,जब वॉटर प्लस की दावेदारी के बीच किसी शहर ने एसटीपी की मदद से ट्रीट किये जाने वाले पानी को तालाबों की बेहतरी के लिए उपयोग में लाया गया है…नगर निगम ने पहले एसटीपी प्लांट बनाने में लगभग 2.95 करोड़ रुपये की राशि खर्च की …पीपल्याहाना चौराहे मार्ग पर 2200 वर्गफीट जमीन पर एसटीपी बनने से पीपल्याहाना तालाब हमेशा उपचारित पानी से लबालब रहेगा।इसका ट्रायल भी किया जा चुका है… ट्रायल के दौरान सीवरेज लाइन का पानी एसटीपी में उपचारित कर दोबारा उसे ड्रेनेज लाइन में छोड़ा जा रहा था। अब ट्रायल खत्म हो गया है और एसटीपी को पूरी क्षमता से चलाकर पीपल्याहाना तालाब भरने का काम शुरू हो गया है। अब यह काम निर्बाध रूप से होता रहेगा। एसटीपी के लिए पूर्वी रिंग रोड से भी एक लाइन लाकर जोड़ी गई है, ताकि गंदे पानी उपचारित कर तालाब में छोड़ा जा सके।इसके अलावा अब नहर भंडारा एसटीपी से पीपल्यापाला तालाब को भी रिचार्ज लिया जा रहा है,जबकि रीजनल पार्क की सिंचाई भी अब ट्रीटेड वाटर से की जा रही है ।
सभी एसटीपी के साथ ही पीपल्याहाना तालाब को क्षेत्र का भू जल स्तर बढ़ाने का बड़ा रिचार्ज पाइंट माना जाता है। तालाब में भरा पानी जमीन में रिसकर धीरे-धीरे क्षेत्र का भू जल स्तर बढ़ाएगा, जिससे आस-पास के क्षेत्रों के बोरिंग सालभर रिचार्ज रह सकेंगे। निगम का दावा है कि इस प्रकिया से आसपास के बोरिंग सूखने की संभावना भी समाप्त हो जाएगी।