
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार शाम रायसीना डायलॉग के 6वें संस्करण का उद्घाटन ऑनलाइन किया। उन्होंने कहा कि हमें खुद से पूछने की जरूरत है कि आज कोरोना महामारी की जो स्थिति है, ऐसे हालात आखिर क्यों बने? ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि हम आर्थिक विकास की रेस में भागे जा रहे हैं। इस दौड़ में मानवता की चिंता पीछे छूट गई है।
एक दशक पहले आई थी कोरोना जैसी महामारी
मोदी ने कहा कि कोरोना महामारी को हराने के लिए मानवजाति को साथ आना होगा। कोरोना जैसी महामारी आखिरी बार एक शताब्दी पहले आई थी। भारत ने ना सिर्फ अपने देश के 130 करोड़ लोगों को बचाने की कोशिश की, बल्कि इस महामारी से लड़ रहे दूसरे देशों का भी सहयोग किया। उन्होंने कहा कि अब दुनिया को ऐसी व्यवस्था बनाने पर ध्यान देना चाहिए, जिससे आगे आने वाली चुनौतियों से निपटा जा सके।
विदेश मंत्री ने कहा- 80 से ज्यादा देशों को वैक्सीन दी
विदेश मंत्री एस जयशंकर मंगलवार को रायसीना डायलॉग के छठवें संस्करण में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग के कारण ही संभव हो पाया है कि भारत दुनिया को वैक्सीन सप्लाई कर रहा है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र्, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पंजाब जैसे कई राज्य वैक्सीन शॉर्टेज की परेशानी से जूझ रहे हैं। वैक्सीनेशन के लिए उम्र का दायरा हटाने की मांग भी लगातार आ रही है।

भारत ने 80 से ज्यादा देशों को वैक्सीन सप्लाई की। इनमें कई ऐसे देश भी शामिल हैं, जिनके पास वैक्सीन खरीदने की क्षमता नहीं थी। आज विश्व के देशों में ऐसी निष्पक्षता की जरूरत है। कोरोना महामारी की वजह से इस बार ये संवाद कार्यक्रम ऑनलाइन आयोजित हो रहा है। ये संवाद 16 अप्रैल तक चलेगा। इसका आयोजन विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से कराया जा रहा है।
विपक्ष की आलोचना के बाद भी उठाया कदम
विपक्षी पार्टियां लगातार मोदी सरकार की आलोचना कर रही हैं। दूसरे देशों को वैक्सीन भेजने पर सरकार से सवाल किया जा रहा है। भारत में ही कोरोना के केस दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे समय में भी सरकार ने दूसरे देशों को वैक्सीन सप्लाई बंद नहीं की है। भारत ने रूस की स्पुतनिक-वी को मंजूरी दे दी है, जबकि हमारे यहां कोवैक्सिन और कोविशील्ड का प्रोडक्शन हो रहा है।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सुधार एकतरफा नहीं हो सकता है। इसके लिए दो देशों को साथ आना पड़ता है। उन्होंने कहा कि पेरिस समझौते को आगे बढ़ाते हुए भारत ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस जैसी पहल की शुरुआत की गई है। दुनिया को वैक्सीन भेजकर भारत ने ये बता दिया है कि विश्व एक परिवार है।
रवांडा के राष्ट्रपति और डेनमार्क की PM मुख्य अतिथि
इस बार के रायसीना डायलॉग की थीम ‘वायरल वर्ल्ड: आउटब्रेक्स आउटलायर्स एंड आउट ऑफ कंट्रोल’ (Viral World: Outbreaks, Outliers and Out of Control) है। इसमें कुल 50 सेशन होंगे। इसमें 50 देशों और के 150 स्पीकर्स शिरकत करेंगे। उद्घाटन सत्र में रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागामे और डेनमार्क की पीएम मेटे फ्रेडरिक्सन मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा ले रहे हैं।
बाद के सत्रों में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल भी हिस्सा लेंगे। पुर्तगाल, मालदीव, जापान और ईरान के विदेश मंत्रियों के अलावा इस वार्ता में कई नेता और अधिकारी हिस्सा लेंगे।
क्या है रायसीना डायलॉग?
दुनिया के अलग-अलग देशों के लोगों का एक मंच है। जहां वैश्विक हालात और चुनौतियों पर एक सार्थक चर्चा के उद्देश्य से रायसीना डायलॉग की शुरुआत की गई। इसमें 100 से ज्यादा देश के तमाम प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं। केंद्र सरकार ने रायसीना डायलॉग की शुरुआत 2016 में की थी। जिसके बाद से हर साल इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले देशों और लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है। इसके पहले साल 2020 में 14 से 16 जनवरी तक रायसीना डायलॉग भारत में आयोजित किया गया था, जिसमें रूस, ईरान और ऑस्ट्रेलिया सहित 13 देशों के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया। जबकि 105 देशों के 180 से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए।
इन देशों के विदेश मंत्री शामिल
अतिथियों के अलावा ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मरीसे पायने और फ्रांस के विदेश मंत्री जीन वेस ली ड्रायन भी रायसीना डायलॉग में हिस्सा ले रहे हैं। पुर्तगाल, स्लोवेनिया, रोमानिया, सिंगापुर, नाइजीरिया, जापान, इटली, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, केन्या, चिली, मालदीव, ईरान, कतर और भूटान के विदेश मंत्री भी इसमें भाग ले रहे हैं।