
कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला ने कहा है कि कोरोनावायरस का संक्रमण रोकने के लिए मास्क ना लगाने वाले नागरिकों के चालन बनाकर जो राशि वसूल की जा रही है उसका उपयोग इंदौर के सरकारी अस्पतालों के लिए वेंटिलेटर खरीदने में किया जाए । इस समय इंदौर को जरूरत अस्थाई जेल की नहीं बल्कि अस्थाई अस्पतालों की है। इंदौर से हमेशा अपना खजाना भरने वाली प्रदेश की सरकार महामारी के इस दौर में इंदौर की झोली सुविधाओं से भरे।
शुक्ला ने आज यहां जारी एक बयान में कहा कि इस समय कोरोना का संक्रमण इंदौर में इतना ज्यादा तेजी से चल रहा है जितना कि पिछले साल लॉकडाउन के दौर में भी नहीं चल रहा था। इस संक्रमण से शहर के नागरिकों को बचाने के लिए सरकार की ओर से पर्याप्त प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। पिछले साल जब संक्रमण की स्थिति थी, उस समय इंदौर में आसपास के जिलों से डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को अटैच कर दिया गया था। उन सभी के माध्यम से कोरोना से संक्रमित मरीजों कोई इलाज उपलब्ध कराया गया था । इस बार इंदौर में हर दिन कोरोना के मरीज मिलने का कीर्तिमान बन रहा है लेकिन इसके बावजूद अब तक आसपास के जिलों के स्टाफ को इंदौर में अटैच नहीं किया गया है । शहर के सरकारी अस्पताल एमवाय, एमटीएच, एमआरटीवी , सुपर स्पेशलिटी जैसे अस्पतालों में भी बेड की कमी पैदा होने लगी है । इन अस्पतालों में कहीं वेंटिलेटर खराब हो गए हैं तो कहीं वेंटीलेटर की कमी है। ऐसे में इंदौर नगर निगम के द्वारा मास्क ना पहनने वाले नागरिकों के चालान बनाकर जो राशि वसूल की जा रही है, इस राशि का उपयोग इन अस्पतालों के लिए वेंटिलेटर खरीदने में किया जाना चाहिए । यह राशी नगर निगम के खजाने में नहीं जाना चाहिए।
शुक्ला ने कहा कि सरकार की ओर से कोई गजट नोटिफिकेशन किए बगैर ही नगर निगम के द्वारा चालान बनाने की इस कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है। ऐसे में यह आवश्यक है कि चालान में वसूल की जाने वाली राशि का उपयोग कोरोना के संक्रमण को नियंत्रित करने और मरीजों को बेहतर स्थिति में पहुंचाने के कार्य में किया जाए । उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। यह दावा किया गया था कि इस नंबर के माध्यम से अस्पतालों में बेड की स्थिति स्पष्ट हो सकती है ताकि संक्रमण से पीड़ित कोई भी नागरिक अस्पताल में जाकर उपचार के लिए भर्ती हो सके । इस मामले में दुखद स्थिति यह है कि इस हेल्पलाइन के नंबर पर कोई फोन उठाता ही नहीं है।उन्होने कहा कि हमेशा से राज्य सरकार का खजाना इंदौर के लोगों के द्वारा चुकाए जाने वाले टैक्स से भराता है। इस समय महामारी का दौर है। इंदौर में जनजीवन संकट में हैं। हर दिन सैकड़ों की संख्या में नागरिक कोरोना के संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं । ऐसे में यह जरूरी है कि राज्य सरकार की ओर से इंदौर की झोली भरी जाए । यहां पर महामारी की चपेट में आ रहे लोगों के उपचार के लिए पुख्ता प्रबंध किए जाएं । इंदौर के अस्पताल संसाधन की कमी की महामारी से पिछले कई सालों से जूझ रहे हैं । इन अस्पतालों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप संसाधन दिए जाएं ताकि इन अस्पतालों में संक्रमण के मरीजों का बेहतर उपचार हो सके।
शुक्ला ने कहा कि हाल ही में जिला प्रशासन के द्वारा मास्क के नियमों का उल्लंघन करने वाले नागरिकों के लिए अस्थाई जेल का निर्माण किया गया है। इंदौर को इस समय आवश्यकता अस्थाई जेल की नहीं बल्कि अस्थाई अस्पतालों की है । आवश्यकता इस बात की है कि सार्वजनिक भवनों में राज्य सरकार की ओर से अस्थाई अस्पताल शुरू किए जाएं । इन अस्पतालों के व्यवस्थाओं के संचालन के लिए आसपास के शहरों से डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ बुलवाकर लगाया जाए । जहां तक कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए मास्क और सामाजिक दूरी के नियम के पालन की आवश्यकता है तो इस बारे में मेरा कहना है कि प्रशासन की ओर से सभी व्यापारियों से यह अपील कर दी जाए कि जो ग्राहक मास्क ना पहने वह उसे वह सामान नहीं दें। इसके साथ ही नागरिकों से अपील कर दी जाए कि जिस दुकान में व्यापारी अथवा उसके कर्मचारी मास्क लगाए बगैर बैठे हो तो वहां से नागरिक भी खरीददारी नहीं करें । यदि यह व्यवस्था लागू कर दी जाती है तो नगर निगम के कर्मचारियों के द्वारा मास्क को आधार बनाकर चालान बनाने की कार्रवाई के नाम पर आए दिन किए जा रहे अभद्र व्यवहार की घटनाओं पर भी विराम लग जाएगा।