इलेक्ट्रॉनिक और प्रिन्ट मीडिया के 38 मीडियाकर्मी सम्मानित मीडिया कॉउंसिल ऑफ इंडिया और तीसरे प्रेस आयोग बनाया जाए।
25 देशों से 118 वर्षों से प्रकाशित हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं की प्रदर्शनी का शुभारंभ, मेहा राजेन्द्र माथुर की पुस्तक ‘प्रिजेविंग द पास्ट का विमोचन
इन्दौर। स्टेट प्रेस क्लब, इन्दौर द्वारा आयोजित तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव का शुभारंभ 19 फरवरी, शुक्रवार को एक गरिमामय समारोह में रविन्द्र नाट्यगृह में हुआ। इसी मौके पर 25 देशों से 118 वर्षों से प्रकाशित हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं का भी शुभारंभ किया। साथ में इलेक्ट्रॉनिक और प्रिन्ट मीडिया के 38 मीडियाकर्मियों को फुलों के गुच्छ और प्रतिक चिन्ह देकर सम्मानित किया। शुभारंभ पर मेहा राजेन्द्र माथुर की पुस्तक प्रिटेविंग द पास्ट का विमोचन किया गया। समारोह पूर्व विधायक डॉ. राजेश सोनकर, वरिष्ठ पत्रकार गोपाल जोशी, वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल (भोपाल), विनीता पाण्डे (दिल्ली), धीमन पुरोहित (अहमदाबाद), डॉ. मानसिंह परमार, मेहा राजेन्द्र माथुर, राजीव बारपुते और संजीव आचार्य के आतिथ्य में हुआ। इस मौके पर संस्था के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, महोत्सव के संयोजक सुदेश तिवारी, संरक्षक मनोहर लिम्बोदिया, नवनीत शुक्ला, कीर्ति राणा, कमल कस्तूरी विशेष रूप से उपस्थित थे।
पूर्व में बने दो आयोग हाथी के दाँत जैसे
पहले दिन मीडिया की लक्ष्मण रेखा विषय पर रोचक टॉक-शो हुआ, जिसमें चर्चाकारों ने बेबाकी के साथ अपनी बात रखी। पूर्व कुलपति एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. मानसिंह परमार ने कहा कि भारतीय संविधान हमें बोलने की आजादी (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) तो देता है साथ में अंकुश लगाने की बात भी कहता है, ताकि हम न्यायालय की अवमानना नहीं करें, किसी की मानहानि नहीं करें और ऐसा कुछ नहीं बोले या लिखे जिससे देश की एकता और अखण्डता को चोट पहुंचे। डॉ. परमार ने बेबाकी के साथ कहा कि देश में तीसरे प्रेस आयोग और मीडिया काउंसिल ऑफ इंडिया बनाने की आवश्यकता है। ताकि वह प्रिन्ट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और डिजिटल मीडिया की आचार संहिता बनाने के साथ उस पर अंकुश भी लगा सके। हालांकि 1954 और 1978 में दो प्रेस आयोग बन चुके हैं, लेकिन इनकी स्थिति हाथी के दाँत दिखाने और खाने के कुछ ओर होते हैं। ये दोनों आयोग अधिकार विहिन है। अत: हमें तुरन्त तीसरे प्रेस आयोग को बनाना होगा। क्योंकि जिस तरह से फेक न्यूज का बाजार गर्म है उस पर अंकुश लगाने के लिए तीसरे प्रेस आयोग की जरूरत है। साथ में मीडिया को स्वतंत्रता की भी जरूरत है, क्योंकि कोई भी विकास बगैर स्वतंत्रता के नहीं होता है।
सरकार के प्रवक्ता बन गए न्यूज चैनल
वरिष्ठ टी.वी. पत्रकार डॉ. राजेश बादल ने कहा कि आज की पत्रकारिता ने अपनी प्रतिष्ठा और साख पर कई सवाल खड़े कर दिए। अखबार मालिकों और चैनलों के साथ पत्रकारों ने भी सिद्धांतों के साथ समझौता कर लिया है। न्यूज चैनल बंट गए हैं और वे सरकार के प्रवक्ता बन गए हैं। ऐसी स्थिति पहले कभी भी देखने को नहीं मिली। आज अधिकांश चैनल सरकार की आलोचना नहीं करते। ऐसे में सही बातें जनता के सामने नहीं आ पाती। आज तो चैनलों में ही मार-काट मची हुई है और वे एक-दूसरे के खिलाफ हो रहे हैं और सरकारें भी यही चाहती है कि ये आपस में लड़ते रहें, ताकि वे अपनी मनमानी करते रहे। श्री बादल ने आगे कहा कि पत्रकार को अपनी पत्रकारिता के प्रति प्रतिबद्ध होने की आवश्यकता है। गांधीजी ने हमें जो पत्रकारिता के मंत्र दिए उस पर चलने की आवश्यकता है। देश में जब अंशकालीन डॉक्टर और वकील नहीं होते फिर अंशकालीन पत्रकार की बात समझ से परे हैं।
गोदी मीडिया से बड़ी कोई गाली नहीं पत्रकार बिरादरी के लिए
वरिष्ठ पत्रकार विनीता पाण्डे ने कहा कि वर्तमान में पत्रकारिता का जितना ध्रुवीयकरण (बंटवारा) हुआ है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। धर्म और राजनीति पर भी आज का मीडिया बंट चुका है। मैने जनसत्ता में भी काम किया उस वक्त प्रभाष जोशी और रामबहादुर राय की अलग-अलग विचार धाराएं थी। उसके बावजूद पत्रकारिता में कहीं टकराहट देखने को नहीं मिली, लेकिन आज यह आम हो गया है। आज जब हमारी बिरादरी को कोई गोदी मीडिया कहता है तो इससे बड़ी और कोई गाली नहीं हो सकती है। एक पत्रकार वर्षों तक मेहनत करके एक मुकाम हांसिल करता है और जब उसके चैनल या नियुक्ता को कोई गोदी मीडिया कहकर धिक्कारता है तो ये हम सबके लिए शर्मनाक है। विडम्बना है कि देश की जनता आज मीडिया पर विश्वास नहीं कर रही है।
अपनी लक्ष्मण रेखा हमें स्वयं बनाना है
वरिष्ठ पत्रकार धीमन पुरोहित (अदमदाबाद) ने कहा कि आजादी के पहले 1919 में गांधीजी ने जब अपना समाचार पत्र नवजीवन निकाला था तो उसमें उन्होंने स्वयं लिखा था कि पत्रकारों को अपनी लक्ष्मण रेखा स्वयं तय करना चाहिए, लेकिन आज हमें इसके लिए तीसरे प्रेस आयोग या मीडिया काउंसिल ऑफ इंडिया की आवश्यकता महसूस हो रही है। हाल के वर्षों में जितनी गिरावट मीडिया में आई है उतनी पहले कभी नहीं आई।
पत्रकारिता का घराना इन्दौर
वरिष्ठ पत्रकार संजीव आचार्य ने कहा कि इन्दौर पत्रकारिता का घराना और कर्म भूमि रहा। यहां से जो पत्रकार निकले उन्होंने देश में नाम कमाया। अत: यहां जो बात होगी उसकी गूंज पूरे देश में सुनाई देगी।
स्वागत उद्बोधन में सुदेश कुमार तिवारी ने कहा कि स्टेट प्रेस क्लब ऑफ इन्दौर द्वारा आयोजित पत्रकारिता महोत्सव की छाप देशभर में है। हमारी संस्था पत्रकारिता के उत्थान के लिए निरंतर कार्य कर रही है और इस तरह के आयोजन पूर्व में भी सफलतापूर्वक सम्पन्न हुए।
इस अवसर पर कोरोना लॉकडाउन में पत्रकारों की सेवा करने वाले पुणे और वर्तमान में सऊदी अरब में निवासरत आकाश बाहेती का प्रतिक चिन्ह और पुष्पगुच्छों से सम्मान किया गया। इस अवसर पर श्री बाहेती ने कहा कि स्टेट प्रेस क्लब चाहे तो वह इसी तरह का आयोजन सऊदी अरब में भी कर सकता है। इसके लिए मैं उन्हें आमंत्रित करने आया हूँ। अतिथि स्वागत अर्पण जैन, रवि चांवला, विजय अडि़चवाल, सोनाली यादव, राकेश द्विवेदी, रचना जोहरी, संजय रोकड़े ने किया।
प्रतिक चिन्ह और पुष्प गुच्छों से किया मीडियाकर्मियों का सम्मान
इस मौके पर विभिन्न समाचार पत्र और न्यूज चैनल के सम्पादकों, रिपोटरों (मीडियाकर्मी) को पुष्पगुच्छ और प्रतिक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन अर्पण जैन और आकाश चौकसे अंत में आभार प्रवीण कुमार खारीवाल ने माना। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विभिन्न समाचार पत्रों से जुड़े रिपोर्टर, फोटोग्राफर, न्यूज चैनल, कैमरा मैन और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
20 फरवरी, शनिवार को मंथन कार्यक्रम में आयोजित टॉक शो में वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े, राकेश पाठक, पंकज शर्मा, शीतल सिंह, हरीश पाठक, हितेष शंकर और प्रखर श्रीवास्तव दिल्ली अपने विचार रखेंगे।