कोरोना वायरस के चलते मार्च में लगे लॉकडाउन के दौरान रामबाग मुक्तिधाम में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का सबसे ज्यादा अंतिम संस्कार हुआ है। इसमें मुक्तिधाम विकास समिति के सदस्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समिति सदस्यों ने मृतक के परिजनों के न आने पर संक्रमितों शवो का अंतिम संस्कार विधि-विधान से पूरा करवाया। जिसके चलते अंतिम संस्कार के बाद मार्च से लेकर अक्टूबर तक करीब एक क्विंटल से अधिक अस्थियां एकत्रित हो गई थी,,,,,, विसर्जन के लिए इंतजार कर रही अस्थियों का आज हुआ विधान पूर्वक विसर्जन।
मालूम हो कि मार्च के बाद शहर में कोरोना वायरस का प्रकोप फैलना शुरू हो गया था। अप्रैल में कोरोना ने शहर में अपना विकराल रूप दिखाना शुरू कर दिया था। लॉकडाउन के बीच कोरोना संक्रमितों की मृत्यु सिलसिला भी बढ़ता चला गया था। हालात यह हो गए थे कि अधिकांश परिजन अपनों की मौत पर उनका चेहरा देखना तो दूर अंतिम संस्कार के समय मौजूद नहीं रह सके थे। ऐसे में रामबाग मुक्तिधाम विकास समिति ने यह बीड़ा उठाया। समिति सदस्यों ने अपने जीवन की परवाह किए बिना संक्रमित मरीजों का अंतिम संस्कार किया, बल्कि आज उनकी अस्थियों का विसर्जन करके समाज में एक सराहनीय पहल भी की।
फिलहाल एक क्विंटल अस्थियां रामबाग मुक्ति धाम में पड़ी थी। कोरोना संक्रमण से मृत लोगों की अस्थियों को नदियों में विसर्जन के रामबाग मुक्तिधाम एवं दशा पिंड विकास समिति आगे आई .. शुक्रवार को रामबाग मुक्तिधाम विकास समिति द्वारा लगभग 1 क्विंटल अतिथियों का नर्मदा में विसर्जन किया गया विसर्जन के पहले मुक्तिधाम में ही सभी अस्थियों का विधि विधान पूर्वक पूजन किया गया। जो कि समिति के कार्यकर्ताओं द्वारा संपन्न हुआ।
• अस्थियों का पवित्र नदियों में विसर्जन जरूरी
• लॉकर में बंद अस्थियां पवित्र नदियों में प्रवाहित
• लगभग 1 क्विंटल अतिथियों का नर्मदा में विसर्जन किया