कोरोना काल की सबसे दिव्य कथा
चारों और सन्नाटा था बद्रीनाथ धाम में जहाँ अधिकमास में हजारों कथायें संपन्न होती थी वहाँ चारों और मौन पसरा हुआ था। ऐसे समय में श्रीनारायण भक्ति पंथ के प्रवर्तक सद्गुरुश्री लोकेशानंदजी महाराज “श्रीविष्णुपुराण” की कथा करने हिमालय के बद्रीनाथ धाम पँहुचे।
उन्होंने वहाँ लघु विष्णुपुराण की कथा की और यह कथा कीर्तिमान कथा हो गयी क्योंकि भु-वैकुंठ समान श्रीबद्रीनाथ तीर्थ में कोरोना काल में तो कोई जा ही नही सकता था। परंतु जब कोरोना की जाँच रिपोर्ट के साथ जाने की छूट मिली तब भी वहाँ धार्मिक अनुष्ठान के लिये कोई नही जा रहा था और यही कारण है कि ऐसे में केवल यह एक ही कथा संपन्न ही सकी।
श्रीनारायण भक्ति पंथ के प्रवर्तक सद्गुरुश्री लोकेशानंदजी महाराज के शिष्य नितिन अग्रवाल एवं भावना अग्रवाल इंदौर वाले इस कथा के यजमान थे।
यजमान सहित श्रीगुरुदेव के साथ नौ लोग
अपनी जाँचे करवाकर भक्तिभाव के साथ यात्रा करते हुए श्रीबद्रीनाथ धाम पँहुचे और वहाँ तीर्थ पुरोहित श्रीकाशीरामजी व अन्य लोगों को साथ लेकर कथा को संपन्न किया।
मंदिर में ध्वजारोहण किया
इस दौरान प्रतिदिन श्रीबद्रीनाथजी के मंदिर में ध्वज चढ़ाया और साथ ही श्रीलक्ष्मीजी के मंदिर पर एवं सिंहद्वार पर भी ध्वजारोपण किया। शास्त्रों में भगवान विष्णु के मंदिर में ध्वज चढ़ाने का बहुत अधिक महत्व बताया गया है।
धर्माधिकारीजी श्रीबद्रीनाथधाम ने कहा की कोरोनॉ की इस घोर विपत्ति के काल में इतनी दूर से चलकर आना और कथा करना यह एक उत्कट भक्ति का प्रमाण है। इसलिये इतिहास में इस कथा को कोरोना काल की एक मात्र दिव्य कथा के रूप में जाना जायेगा।
तीर्थ पुरोहित ने कहा ..
अभी अधिकमास चल रहा है वैसे हर तीसरे वर्ष अधिकमास में यहाँ हजारों कथायें होती थी परंतु इस बार महामारी के चलते यहाँ कोई संत या कथाकार नही आये। केवल हमारे महाराजश्री लोकेशानंदजी ने यहाँ आकर कथा की उससे हमको बहुत आनंद हुआ। महाराजश्री सनातन धर्म के श्रेष्ठ भक्ति आचार्य है उनपर श्रीबदरीनाथजी की विशेष कृपा रही तभी वे यहाँ पधारकर कथा कर सके।