
- राजकोट में शुरू हुए देश के दूसरे कोविड ऑटोप्सी सेंटर में अब तक 6 ऑटोप्सी की जा चुकी हैं
- कोरोना मरीजों के मामलों में फाइब्रोसिस ने फेफड़ों पर चारों तरफ से अटैक करता है और फेफड़े खराब हो जाते हैं
गुजरात के राजकोट में शुरू हुए देश के दूसरे कोविड ऑटोप्सी सेंटर में अब तक 6 ऑटोप्सी की जा चुकी हैं। इस ऑटोप्सी से अब कई चौकाने वाली जानकारियां भी सामने आ रही हैं, जिस पर फिलहाल रिसर्च चल रही है। फिलहाल रिसर्च का केंद्र कोरोना मृतकों के फेफड़े हैं, जो मौत का सबसे बड़ा कारण बन रहे हैं।
एक कोरोना मृतक के फेफड़े हो चुके थे पत्थर जैसे
ऑटोप्सी सेंटर की डॉ. हेतल क्याडा ने इस बारे में बताया कि कोरोना वायरस के चलते फेफड़ों में फाईब्रोसिस बहुत बढ़ जाता है, जिसके चलते फेफड़े चारों तरफ से खराब होने शुरू हो जाते हैं। हमने एक कोरोना से मरने वाले के ऐसे फेफड़े देखे, जो पत्थर की तरह हो चुके थे। टीबी और निमोनिया के मामलों में फाइब्रोसिस फेफड़ों में ऊपर या नीचे के हिस्से में होता है। जबकि कोरोना मरीजों के मामलों में फाइब्रोसिस ने फेफड़ों पर चारों तरफ से अटैक किया। हालांकि, इससे संबंधित पूरी जानकारी तो रिसर्च के बाद ही सामने आएगी।

फेफड़े होने लगते हैं सख्त
डॉ. हेतल बताती हैं कि एक स्वस्थ शरीर के फेफड़े ताजी ब्रेड की तरह नरम होते हैं। इसी के चलते शरीर के ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान करते हैं। फेफड़े के पांच हिस्से होते हैं, जिसमें बायीं तरफ 2 और दायीं तरफ 3 हिस्से होते हैं। आमतौर पर टीबी के मरीजों में फाईब्रोसिस फेफड़े के ऊपरी भाग में, जबकि निमोनिया में फेफड़ों के नीच हिस्से में होता है। लेकिन, कोरोना के मामले में फाईब्रोसिस फेफड़ों के पांचों हिस्सों में देखने को मिला है।
सांस लेने में होती है परेशानी
डॉ. हेतल के बताए अनुसार किसी भी वायरस का सबसे पहला असर फेफड़ों पर होता है। इससे सांस लेने में परेशानी होने लगती है, क्योंकि शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलने में प्रॉब्लम होने लगती है। हालांकि फाईब्रोसिस विभिन्न रोगों में अलग-अलग तरीके का होता है और उसका उपचार भी संभव है, लेकिन कोरोना के मामले में यह बिल्कुल अलग है। कोरोना वायरस में फाईब्रोसिस फेफड़ों पर किस तरह असर करना शुरू करता है, यह जानना अभी बाकी है।