- पाकिस्तान सरकार ने पिछले दिनों माना कि दाऊद पाकिस्तान के कराची में ही है, बाद में पलट गई
- दाऊद के जरिए फौज ने ड्रग तस्करी से करोड़ों डॉलर कमाए, अब यह मुश्किल साबित हो रहा
भारत के मोस्ट वॉन्टेड दाऊद इब्राहिम को करीब दो दशक से पाल रहा पाकिस्तान अब उससे छुटकारा पाना चाहता है। लेकिन, इसमें भी वो अपने ही जाल में फंस गया है। सरकार उसे भारत को सौंपने तैयार हो सकती लेकिन, सेना इसके लिए तैयार नहीं है। सेना उसे पाकिस्तान से बाहर कहीं मार देना चाहती है। सबसे बड़ी बात यह है कि फौज और सरकार को जल्द ही कोई फैसला लेना होगा। क्योंकि, अक्टूबर में पाकिस्तान को फाइनेंशियल टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के सामने आतंकियों पर की गई कार्रवाई का ब्योरा सौंपना है। और अनजाने में ही सही पाकिस्तान ने पिछले दिनों यह मान लिया था दाऊद पाकिस्तान में है।
फिलहाल, लंदन में रह रहे पाकिस्तानी लेखक और पत्रकार डॉक्टर अमजद अयूब मिर्जा ने दाऊद को लेकर पाकिस्तानी फौज और सरकार की कश्मकश का खुलासा किया है। मिर्जा का इस मसले पर एनालिसिस पढ़िए…
एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट
पाकिस्तान को अगर दिवालिया होने से बचना है तो एफएटीएफ की हर शर्त पूरी करनी होगी। क्योंकि, इसके बिना वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ या एशियन डेपलपमेंट बैंक उसे कर्ज नहीं देंगे। वो जुलाई 2018 से ग्रे लिस्ट में है। आतंकियों पर सबूतों के साथ सख्त और निर्णायक कार्रवाई नहीं तो अक्टूबर में ब्लैक लिस्ट होने का खतरा सिर पर है। अब दाऊद पर भी फैसला करना ही होगा। क्योंकि, इमरान सरकार मान चुकी है कि दाऊद कराची में है। भारत दुनिया को इसके अनगिनत सबूत कई साल से दे रहा था।
फौज के लिए दाऊद इसलिए जरूरी था
1980 की शुरुआत में ही पाकिस्तानी फौज ने ड्रग तस्करी को कमाई का जरिया बनाया। अफगानिस्तान से अफीम और हेरोइन लाए जाते। फौज दाऊद इब्राहिम के नेटवर्क के जरिए इनकी इंटरनेशनल सप्लाई करती। यानी ड्रग सप्लाई दाऊद के गुर्गे करते। करोड़ों डॉलर कमाई होती और फिर बंटवारा। फौज के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल फजल हक को खैबर पख्तून्ख्वा का गवर्नर बनाया ही इसलिए गया ताकि तस्करी में दिक्कत न हो।
कहां जाता था ड्रग्स का पैसा
कमाई का एक हिस्सा आतंकी तैयार करने और मदरसे बनाने पर खर्च हुआ। नेताओं, जजों, पत्रकारों को मोटी रकम दी जाती ताकि वे किसी भी हालत में मुंह न खोलें। यूरोप, मिडिल-ईस्ट और अमेरिका में लाखों डॉलर से प्रापर्टीज खड़ी की गईं। 2015 में पाकिस्तानी मॉडल अयान अली इसी रैकेट की वजह से गिरफ्तार हुए थे। 2012 में कस्टम ऑफिसर हबीब अहमद ने कहा था- पाकिस्तान से हर साल 2 हजार टन हेरोइन स्मगल की जाती है। अफगानिस्तान में हर साल 6 हजार टन अफीम पैदा होती है।
अलगाववादी नेताओं को भी मिला हिस्सा
ड्रग्स की काली कमाई का एक बड़ा हिस्सा कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के पास भी पहुंचता। इनमें यासीन मलिक, अली शाह गिलानी और कुछ दूसरे नाम शामिल थे। कश्मीर में हिंसा की आड़ लेकर तस्करी की जाती। इंडियन इंटेलिजेंस एजेंसीज और मुंबई पुलिस ने दाऊद के नेटवर्क को करीब-करीब खत्म कर दिया। 2003 में उसे ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित किया गया। अब पाकिस्तान ने जिन 88 आतंकियों पर दिखावे का एक्शन लिया है, उनमें दाऊद का नाम भी शामिल है।
बोझ क्यों बन गया लाड़ला
एफएटीएफ की शर्तें पूरी किए बगैर पाकिस्तान को कर्ज नहीं मिलने वाला। ड्रग्स का धंधा अब लगभग खत्म हो चुका। लिहाजा, सरकार और फौज के पास कोई रास्ता नहीं। वो फंस गए हैं। अगर दाऊद पर कार्रवाई होगी तो इसके सबूत देने होंगे। अब तक दाऊद की देश में मौजूदगी से इनकार करता रहा पाकिस्तान किस मुंह से दुनिया का सामना करेगा? फौज उसे जिंदा नहीं रखना चाहती। वो उसे मार तो सकती है लेकिन, यह राज छिपा नहीं पाएगी।
इधर कुआं, उधर खाई
फौज ने दाऊद को बाहर ले जाकर खत्म करने के लिए उसका कॉमनवैल्थ कंट्री डोमेनिका से पासपोर्ट बनवाया। उसे किसी कैरेबियाई देश भेजने का प्लान बनाया। लेकिन, भारतीय खुफिया एजेंसियों की पैनी नजर के चलते यह इरादा कामयाब नहीं हो पाया। दाऊद पाकिस्तान से बाहर नहीं निकल पा रहा। अगर दाऊद मारा गया तो फिर इमरान की कुर्सी भी नहीं बचेगी। फौज की कश्मकश तो अपनी जगह है ही।