सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत सुसाइड केस की जांच सीबीआई को सौंपी है। कोर्ट के इस फैसले को बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने ऐतिहासिक बताया है। डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने भास्कर से खास बातचीत की। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में बिहार पुलिस का स्टैंड एकदम सही था, जबकि महाराष्ट्र पुलिस हमें तकनीकी चीजों में उलझाती रही। उन्होंने 4 प्वॉइंट्स बताए कि क्यों इस पूरे मामले में महाराष्ट्र पुलिस का रवैया गलत था और कानूनी तौर पर बिहार का पक्ष सही था…
1. सुशांत के बाद पिता उत्तराधिकारी, पटना में एफआईआर का कदम सही था
सुशांत अविवाहित थे। ऐसे में उनकी मौत के बाद पिता ही स्वाभाविक उत्तराधिकारी हैं। पूरे मामले में हत्या से लेकर पैसे के हेरफेर तक की बातें सामने आ रहीं थीं। इस बारे में कानूनी तौर पिता को अपनी शिकायत दर्ज कराने का पूरा अधिकार है। वे पटना में रहते हैं। इसलिए पटना में एफआईआर दर्ज होना कानूनी तौर पर एकदम सही था। यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले में भी साफ हुआ।
2. तकनीकी चीजों में उलझाती रही मुंबई पुलिस
महाराष्ट्र पुलिस बार-बार आरोप लगा रही थी कि बिहार पुलिस ने केस दर्ज करने की जगह जीरो एफआईआर क्यों नहीं की? केस मुंबई क्यों नहीं ट्रांसफर किया? इन सवालों को उठाने के बजाय महाराष्ट्र पुलिस ने जांच में कभी सहयोग नहीं किया। वहां की पुलिस तकनीकी चीजों में मामले को उलझाती रही, जो मुंबई पुलिस की मंशा पर सवाल उठाता है।
3. बिहार पुलिस की निगरानी की गई
बिहार पुलिस जांच के लिए मुंबई गई तो उसका सहयोग नहीं किया गया। बिहार पुलिस पर मुंबई आने-जाने पर नजर रखी गई। यहां तक बिहार पुलिस से ही पूछताछ की गई। जरूरत के कागजात-सबूतों तक पहुंचने से रोका गया। यहां तक कि सुशांत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट तक साझा नहीं की गई। मुंबई पुलिस के पुलिस कमिशनर ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मामले में कहा कि यह बिहार पुलिस के अधिकार क्षेत्र में नहीं है, जबकि इस मसले में अधिकार क्षेत्र जैसी कोई बात नहीं थी।
4. पटना के एसपी को क्वारैंटाइन किया गया
बिहार पुलिस ने बेहतर को-ऑर्डिनेशन के लिए पटना के एसपी आईपीएस विनय तिवारी को महाराष्ट्र भेजा। विनय तिवारी के पास कई इनपुट थे और उनकी जांच मामले को आगे ले जाती। लेकिन, बीएमसी ने उन्हें क्वारैंटाइन कर दिया, जो बताता है कि इस मामले में मुंबई पुलिस पर दबाव था।