
59 ऐप के बैन ने घरेलू डेवलपरों के लिए अवसर खोल दिए हैं
विश्लेषकों का कहना है कि घरेलू ऐप डेवलपर्स को तेजी से बढ़ने और सफल होने के लिए अपने मंचों पर उपयोक्ताओं का जुड़ाव और बेहतर अनुभव सुनिश्चित करना होगा….
काउंटरपॉइंट रिसर्च के सहायक निदेशक तरुण पाठक ने कहा, ‘हमें लगता है कि ऐप्स पर प्रतिबंध ने घरेलू डेवलपर्स के लिए अवसर खोले हैं, लेकिन ये आसान नहीं होगा. सबसे पहले इन मंचों पर आने वाले सभी उपयोक्ता परखने को ध्यान में रखकर शुरू करेंगे.’
उन्होंने कहा कि डाउनलोड में शुरुआत में तेज वृद्धि होगी, लेकिन वास्तविक अंतर यूआई (यूजर इंटरफेस), फीचर्स और ऐप के संबंधित जुड़ाव में निहित है. उपयोक्ता देखना चाहेंगे कि ये प्रतिबंधित ऐप के उनके पिछले अनुभव से कितना करीब या उससे बेहतर है. यही इन ऐप कंपनियों के लिए असली चुनौती होगी.पाठक ने कहा, ‘एक और बात ये है कि एक ऐप उतना ही बेहतर होता है, जितना उसके पास सक्रिय उपयोक्ता होते हैं. सिर्फ उपयोक्ताओं की संख्या नहीं बल्कि सक्रिय उपयोक्ताओं की संख्या सफलता तय करती है.’ ग्रेहाउंड रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) संचित वीर गोगिया के मुताबिक, कोई भी ऐप, विशेष रूप से सोशल नेटवर्किंग क्षेत्र में, यदि सिर्फ एक ही देश या एकल बाजार की सेवा के उद्देश्य से पेश किया गया हो, तो वह कभी भी सफल नहीं हो सकता है.
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उन्होंने कहा, ‘इस तरह के ऐप को सफल होने के लिए व्यापक आधार पर उपयोक्ता की जरूरत होती है, ताकि आप उनसे सीख सकें और निवेशकों के लिए बेहतर रिटर्न सुनिश्चित कर सकें.’ उन्होंने कहा कि सवाल ये है कि भारत सिर्फ भारत के लिए ही ऐप बनाता है या पूरी दुनिया के लिए.