
मुंबई. निर्विरोध चुने जाने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) के तौर परशपथ ली। इस दौरान उनकी पत्नी शर्मीला ठाकरे और दोनों बेटे भी विधान भवन में मौजूद रहे। उद्धव के साथ 8 अन्य ने भीएमएलसी की पद और गोपनीयता की शपथ ली। ठाकरे परिवार के उद्धव दूसरे ऐसे सदस्य हैं, जो किसी भी चुनावी राजनीति में चुने गए हैं। इससे पहले उनके बेटे आदित्य ठाकरे वर्ली सीट से विधायक के रूप में निर्वाचित हुए थे। आदित्य राज्य के पर्यटन मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र के इतिहास में यह पहली बार है, जब एक मुख्यमंत्री पिता और मंत्री पुत्र विधानसभा के दोनों सदनों में निर्वाचित हुए हैं। उद्धव के शपथ लेने के साथ हीमहाराष्ट्र में सीएम की कुर्सी पर मंडरा रहा सियासी संकट भी खत्म हो गया। दरअसल, उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर को राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।संविधान के प्रावधानों के मुताबिक, 6 महीने के अंदरउन्हें विधानसभा या विधान परिषद दोनों में से किसी एक सदन का सदस्य चुना जाना जरूरी हो गया था। यह समय सीमा 27 मई को खत्म हो रही थी।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को राजभवन में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की। राज्यपाल ने सीएम को महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य के रूप में चुने जाने पर बधाई दी।
उद्धव के निर्वाचन में कांग्रेस का बड़ा योगदान
उद्धच के विधान परिषद के लिए निर्विरोध निर्वाचन में कांग्रेस की अहम भूमिका रही है,क्योंकिकांग्रेस ने पहले दो प्रत्याशी उतारने की बात कही थी। हालांकि, बाद में कांग्रेस ने एक ही प्रत्याशी मैदान में उतारा। ऐसे में चुनाव मैदान में 9 ही सदस्य थे और 9 सीटें खाली थीं। इसलिए चुनाव की जरूरत नहीं पड़ी। विधान परिषद की 9 सीटों के लिए कांग्रेस ने 1, भाजपा ने 4,राकांपा ने 2, शिवसेना ने 2 प्रत्याशी उतारे थे।
इन 9 लोगों ने ली शपथ:
भाजपा:रमेश कराड, गोपीचंद पडलकर, प्रवीण दटके और रणजीत सिंह मोहिते पाटिल।
राकांपा :शशिकांत शिंदे और अमोल मिटकरी।
शिवसेना :मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और नीलम गोर्हे।
कांग्रेस :राजेश राठौर।