ब्रिटेन में कोरोनावायरस के टीके का इंसानों पर परीक्षण शुक्रवार को शुरू हुआ। ब्रिटेन में महिला माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट एलिसा ग्रैनैटो को कोविड-19 का पहला टीका लगाया गया।
वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के लिए आठ सौ लोगों में से एलिसा ग्रैनेटो को चुना गया। यह वैक्सीन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने तैयार की है।
एलिसा के साथ ही कैंसर पर रिसर्च करने वाले एडवर्ड ओनील को भी टीका लगाया गया है।
एलिया को कोविड-19 की वैक्सीन का टीका लगाया गया है जबकि ओनील को मेनिनजाइटिस का टीका लगाया है।
मेनिनजाइटिस भी एक संक्रामक बीमारी है, इसमें दिमाग और रीढ़ की हड्डी की झिल्ली में सूजन आ जाती है।
माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट एलिसा को लगाया टीका शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करेगा, जिससे कोरोनावायरस से लड़ने में मदद मिलेगी।
टीका लगने के बाद एलिसा ग्रैनैटो का कहना है कि ‘‘मैं एक वैज्ञानिक हूं। इसलिए रिसर्च को सपोर्ट करना चाहती हूं। मैनें वायरस पर कोई स्टडी नहीं की है। इसलिए खुद अच्छा महसूस नहीं कर रही थी। इस काम में सहयोग करने का यह सबसे आसान तरीका है।’’
संयोग की बात यह है कि गुरुवार को ही एलिसा का 32 वां जन्मदिन था। इसी दिन उन्हें यह वैक्सीन लगाया गया।
एलिसा और ओनील की 48 घंटे मॉनिटरिंग की जाएगी। इन पर वैक्सीन का प्रभाव समझने के बाद ही वैज्ञानिक दूसरे वॉलंटियरों को टीका लगाएंगे।
ह्यूमन ट्रायल के दूसरे चरण के लिए 18 से 55 साल तक के स्वस्थ्य लोगों का चयन किया गया है। इनमें से आधे-आधे लोगों पर दोनों टीकों का परीक्षण किया जाएगा।
हालांकि, उन्हें यह नहीं बताया जाएगा कि उन्हें कौन सा टीका दिया गया है।
रिसर्च टीम की लीडर और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीनोलॉजी की प्रोफेसर सारा गिलबर्ट के अनुसार , ‘‘मुझे व्यक्तिगत तौर पर इस टीके को लेकर पूरा भरोसा है। बेशक हमें इसका इंसानों पर परीक्षण करना है और डेटा जुटाना है। लेकिन, हमें यह देखना है कि यह वैक्सीन लोगों को कोरोनावायरस से बचाती है।’’
कोरोना के कहर को देखते हुए कहा जा सकता है कि अब इस दुनिया को सिर्फ वैज्ञानिक और डॉक्टर की बचा सकते हैं।
एलिसा ग्रैनैटो के बारे में इतना ही जानना काफी है कि कोरोना से लड़ने के लिए वह कुछ करना चाहती थी, उन्हें यही सही लगा कि मानवता के लिए खुद अपना योगदान दें।
गुरुवार को जब उन्हें वैक्सीन दिया गया था, उनका 32 वां जन्मदिन भी था। तब से लेकर अभी तक एलिसा 48 घंटे मॉनिटरिंग में है।
टीके का विपरीत प्रभाव भी हो सकता है, जान भी जा सकती है, लेकिन जैसा कि पहले कहा कि इस सृष्टि को डाक्टर और वैज्ञानिक ही बचा सकते हैं तो सबूत है कि ऐसे वैक्सीन के ह्यूमन ट्रॉयल के लिए एलिसा जैसे लोग ही सामने आते हैं।