स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने रविवार को नियमित संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी देते हुये बताया कि तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat) की घटना के कारण संक्रमण फैलने की दर में इजाफा होने से संक्रमित मरीजों की संख्या कम समय में ही दोगुना हो गयी. उन्होंने कहा कि अगर यह घटना नहीं हुयी होती तो संक्रमण के मामले दोगुना होने में औसत समय 7.4 दिन का लगता, जबकि इस घटना के कारण मरीजों की संख्या दोगुना होने में 4.1 दिन का ही औसत समय लगा.
देश में कोरोना के संक्रमण से मरने वालों की संख्या हुई 83
उन्होंने देश में कोरोना के संक्रमण से जुड़े आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण का दायरा देश के 272 जिलों तक पहुंच गया है जिसके कारण रविवार को कोरोना संक्रमण (Coronavirus Infection) के मामले बढ़कर 3,500 से अधिक हो गए हैं जबकि इससे मरने वालों की संख्या 83 तक पहुंच गई. उल्लेखनीय है कि भारत में प्रशासनिक आधार पर जिलों की कुल संख्या 718 है.अग्रवाल ने बताया कि पिछले 24 घंटों में कोरोना के 505 नये मामले सामने आये हैं, जबकि इस अवधि में 11 मरीजों की मौत भी हुयी है. उन्होंने बताया कि कोरोना के अब तक 267 मरीज स्वस्थ हो गए हैं और उन्हें अस्पताल (Hospital) से छुट्टी दे दी गई है.
राज्यों की तालिका के मुताबिक 106 लोगों की हो चुकी है मौत
हालांकि, राज्यों द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित तालिका के अनुसार, देश में कम से कम 106 लोगों की मौत हुई है जबकि रविवार सुबह तक संक्रमण के मामले बढ़कर 3,624 हो गए. इनमें से 284 लोग ठीक हो गए और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.
संक्रमण के बारे में अलग-अलग राज्यों द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुकाबले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) के आंकड़ों में संक्रमित एवं मृतकों की संख्या कम हैं. अधिकारियों ने आंकड़ों में अंतर की वजह के बारे में बताया कि अलग-अलग राज्यों से संक्रमण के मामलों की पुष्टि से संबंधित जानकारी मिलने में प्रक्रियागत देरी के कारण यह अंतर बना हुआ है.
हवा से कोरोना का संक्रमण होने के सबूत नहीं मिले: ICMR
कोरोना का संक्रमण हवा से फैलने की रिपोर्टों के बारे में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (ICMR) के रमन आर गंगाखेड़कर ने कहा कि अभी तक इसकी पुष्टि करने वाले कोई सबूत नहीं मिले हैं. गंगाखेड़कर ने कहा, ‘‘अगर हवा से कोरोना का संक्रमण हो रहा होता तो परिवार के किसी एक सदस्य को संक्रमण होने पर पूरा परिवार संक्रमित होता या अस्पताल में इन मरीजों के आसपास रहने वालों को भी संक्रमण हो जाता. जबकि इस तरह की बात देखने को अब तक नहीं मिली है.’’
अग्रवाल ने कहा कि कोरोना का संक्रमण रोकने के लिये देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) को प्रभावी बनाने के प्रयासों की, सरकार निरंतर समीक्षा कर रही है. उन्होंने कहा कि इस दिशा में रविवार को कैबिनेट सचिव ने जिला स्तर पर लॉकडाउन को प्रभावी बनाने की समीक्षा करने के लिये सभी जिलाधिकारियों, पुलिस अधीक्षकों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों सहित राज्य सरकारों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिये बैठक की.
लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ही सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध वैक्सीन: स्वास्थ्य मंत्रालय
अग्रवाल ने कहा कि अब तक देश के 272 जिलों में कोरोना के मरीज सामने आने के मद्देनजर जिलाधिकारियों को तत्काल जिला स्तर (District Level) पर आपदा प्रबंधन कार्ययोजना बनाकर अमल में लाने को कहा गया है.
अग्रवाल ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) के नियमों के पालन को कोरोना से बचाव की सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध वैक्सीन बताते हुये इनका पालन करने की अपील की है. उन्होंने बताया कि संक्रमित मरीजों की अधिकता वाले नोएडा, आगरा और भीलवाड़ा सहित अन्य जिलों के जिलाधिकारियों ने स्थिति को नियंत्रण में करने के उपायों की बैठक में जानकारी दी.
ICMR ने सार्वजनिक स्थानों पर थूकने और गुटखा-तंबाकू का सेवन करने से मना किया
अग्रवाल ने बताया कि कैबिनेट सचिव (Cabinet Secretary) ने सभी जिलाधिकारियों को चिकित्सा उपकरण एवं दवा बनाने वाले कारखानों का अबाध संचालन सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि संक्रमण को रोकने के लिये आईसीएमआर ने परामर्श जारी कर लोगों से सार्वजनिक स्थलों पर थूकने, धूम्रपान करने से बचने और गुटखा आदि तंबाकू पदार्थों का सेवन करने से बचने को कहा है. आईसीएमआर ने कहा है कि सार्वजनिक स्थलों पर थूकने से कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.
इस दौरान गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने राज्य सरकारों के स्तर पर लॉकडाउन (Lockdown) का पालन सुनिश्चित कराने के प्रयासों की सराहना करते हुये बताया कि मंत्रालय प्रवासी मजदूरों की समस्याओं के त्वरित समाधान कर रहा है. श्रीवास्तव ने बताया कि प्रवासी मजदूरों को भोजन और आश्रय सुविधा मुहैया कराने के लिये देश भर में लगभग 28 हजार राहत केन्द्र संचालित हो रहे हैं.
गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए देश में चलाए जा रहे 19,460 विशेष फूड कैंप
गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव ने कहा कि इनमें लगभग 24 हजार सरकारी और शेष सामाजिक संगठनों द्वारा संचालित हैं. इनमें 12.5 लाख लोगों को भोजन और आश्रय की सुविधा दी गयी है. इसके अलावा गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने के लिये देश में 19,460 विशेष ‘फूड कैंप’ (Special Food Camp) भी चल रहे हैं, जिनके माध्यम से प्रतिदिन लगभग 75 लाख लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं विभिन्न कारखानों एवं अन्य स्थानों पर कार्यरत लगभग 13.5 मजदूरों को उनके नियोक्ताओं द्वारा भोजन सुविधा दी जा रही है.
एक सवाल के जवाब में गंगाखेड़कर ने बताया कि कोरोना के त्वरित परीक्षण के लिये ‘रेपिड टेस्ट किट’ (Rapid Test Kit) की आपूर्ति बुधवार से शुरु होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि इस किट की उपलब्धता के बाद संक्रमण के अधिक प्रभाव वाले इलाकों से ‘त्वरित परीक्षण’ प्रणाली से परीक्षण शुरु कर दिया जायेगा.
चिकित्साकर्मियों की निजी सुरक्षा के लिये इस्तेमाल होने वाली पीपीई किट (PPE Kit) की राज्यों में कमी के सवाल पर अग्रवाल ने कहा कि पीपीई का पहले सिर्फ आयात होता था. लेकिन इस साल जनवरी से पीपीई का घरेलू उत्पादन (Domestic Production) भी शुरु किया गया है. साथ ही इसकी उपलब्धता को मांग के अनुरूप बनाये रखने के लिये विदेशों से आयात भी किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पीपीई की कमी को जल्द दूर कर मांग के अनुरूप आपूर्ति बहाल हो जायेगी.
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