इंदौर वासियों की कुछ गलतियों के कारण शहर में कोरोना ने अपने पैर पसारे. (फाइल फोटो)
एक ही दिन में पांच मामले सामने आने के बाद शहर ही नहीं पूरे राज्य में हड़कंप मच गया. इसके बाद ये सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है. यहां तक की इंदौर के 5 लोगों को इस वायरस ने लील भी लिया है.
इंदौर. जिस समय पूरे देश में कोरोना के मरीजों का आंकड़ा बढ़ रहा था उस समय इंदौर के बाशिंदे इस बात को लेकर निश्चिंत थे कि शहर में एक भी पॉजिटिव रिपोर्ट सामने नहीं आई है. लेकिन यह निश्चिंतता ज्यादा लंबी नहीं चली और एक ही दिन में पांच मामले सामने आने के बाद शहर ही नहीं पूरे राज्य में हड़कंप मच गया. इसके बाद ये सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है. यहां तक की इंदौर के 5 लोगों को इस वायरस ने लील भी लिया है. आखिर ऐसा क्या हुआ जो देश के इस सबसे साफ शहर में इस वायरस ने अपने पैर इतनी तेजी से पसारे. दरअसल ये सिलसिला शुरू हुआ शहर के ही लोगों की एक छोटी सी गलती से….फिर इंदौरवासियों को कोरोना ने जकड़ा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का ऐलान किया. इस दौरान उन्होंने देशभर के लोगों से अपने घरों में रहकर ही बालकनी, दरवाजे और खिड़कियों से ताली या थाली बजा कर इस बीमारी में लोगों की सेवा कर रहे लोगों का आभार जताने की अपील की. लेकिन इंदौरवासियों ने इस अपील के उलट काम किया. लोगों ने शाम पांच बजे रजवाड़े पर जश्न मनाया. इस दौरान भारी भीड़ यहां पर जमा हुई. वहीं कई रैलियां निकाली गईं और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गई. यहीं से इंदौर वासियों के लिए कोरोना मुसीबत का पहाड़ बन कर सामने आ गया.धार्मिक यात्रा के दौरान संक्रमण22 मार्च के बाद ही 25 मार्च को कोरोना के एक साथ 5 मरीज मिले. हालांकि इन मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री थी. दो लोग 68 साल के प्रहलाद अग्रवाल और विष्णु अग्रवाल वैष्णोदेवी और हिमाचल प्रदेश की तीर्थ यात्रा कर लौटे थे. उन्होंने 8 मार्च से 14 मार्च तक धार्मिक यात्रा की थी. उसके बाद जब वो इंदौर पहुंचे तो उन्हें दो दिन बाद हल्का बुखार आया. इलाज करवाने पर बुखार ठीक हो गया लेकिन तीन दिन बाद एक बार फिर 22 मार्च को तेज बुखार आया और उन्हें 23 मार्च को बॉम्बे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. जांच में दोनों दोस्तों में कोरोना संक्रमण के लक्षण मिले. तब से इनका इलाज चल रहा है. अब दोनों लोगों की हालत बेहतर है.और फिर दिनों दिन कोरोना ने पसारने शुरू किए पैरउसी दिन तीन और मरीजों में कोरोना की पुष्टि हुई. 25 मार्च तक जब देश में कोरोना मरीजों की संख्या 600 के पार पहुंच गई थी तब इंदौर में एक ही दिन में 5 मरीज मिले. ये आंकड़ा सबको परेशान करने वाला था. उसके अगले दिन ये संख्या 10 हो गई. फिर अगले दिन आंकड़ा 14 पर पहुंचा और अगले 5 दिन में इंदौर देश के सबसे संक्रमित शहरों की सूची में आठवें नंबर पर पहुंच गया. यहां कोरोना पॉजिटिव का आंकड़ा 44 हो गया. उसके अगले तीन दिनों में ये आंकडा़ दो गुना हो गया और इंदौर देश के कोरोना पॉजिटिव टॉप थ्री शहरों पहुंच गया.अस्पताल से भाग और 12 लोगों को किया संक्रमित
कोरोना को फैलाने में कुछ लोगों की नासमझी ने भी आग में घी का काम किया. 28 मार्च को एक संक्रमित मरीज एमआर टीबी अस्पताल से भाग गया. उसका कहना था कि वो कभी विदेश नहीं गया तो उसे ऐसी कोई बीमारी नहीं हो सकती. अस्पताल से भागकर वो अपने छोटे से घर में चला गया. यहां पर उसने अपनी 3 और पांच साल की बेटियों व 8 साल के बेटे के साथ ही 12 लोगों को संक्रमित कर दिया. इसके साथ ही उसके संपर्क में आए 54 लोगों को क्वारेंटाइन किया गया. वहीं दो और संक्रमित मरीज भी अस्पताल से भागे. लेकिन सभी को वापस पकड़ लिया गया. वहीं इससे पहले 29 मार्च को इंदौर के रानीपुरा इलाके में भी कोरोना से संक्रमित लोगों की स्क्रीनिंग करने गई मेडिकल टीम पर वहां के लोगों ने ऊपर से थूककर संक्रमित करने की कोशिश की थी. मेडिकल स्टाफ को पुलिस की मदद मांगनी पड़ी थी.
30 मार्च से इंदौर कम्पलीट लॉकडाउन
कोरोना के बढ़ते मरीजों के कारण कलेक्टर मनीष सिंह ने 30 मार्च को 3 दिन के लिए शहर को टोटल लॉकडाउन कर दिया. इस दौरान सभी जरूरी सेवाओं को भी रोक दिया गया. लेकिन हालात नहीं सुधरे तो प्रशासन ने सात दिन के कंपलीट लॉकडाउन के आदेश जारी कर दिए. इंदौर में 3 अप्रैल तक कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 94 पहुंच गई जिसमें 5 की मौत हो गई. .डिजास्टर प्रोटेक्टिव स्क्वॉड
अस्पतालों से भाग रहे मरीजों से परेशान सरकार ने इन्हें पकड़ने के लिए डिजास्टर प्रोटेक्टिव स्क्वॉड बनाया. इसमें 40 पुलिसकर्मियों को सुरक्षा कवच से लैस करने के साथ विशेष प्रशिक्षण दिया गया. उन्हें विशेष ड्रेस, जैकेट, ग्लब्स, मास्क, चश्मे और शील्ड से लैस किया गया.
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First published: April 3, 2020, 1:06 PM IST