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कोविड-19 (Covid-19) का मरीज होने के बाद के पहले नौ दिनों में रोगी हल्के लक्षण दिखा सकता है वह दूसरों तक इस वायरस को प्रसारित भी कर सकता है.
दुनिया भर में स्वास्थ्यकर्मी अपने जुझारूपन से वायरस का मुकाबला करने में सफल हो रहे हैं. कोविड -19, एपिडेमियोलॉजिस्ट कॉनकॉर, कुछ अन्य नये वायरस की तुलना में अधिक संक्रामक है जिन्होंने पिछले दो दशकों में महामरियों को तेज गति दी.
SARS-2003 पर किए गए अध्ययनों से पता चला है कि रोग की शुरुआत में रोगियों में कम वायरस फैलता है. इस समयावधि को वायरल शेडिंग कहा जाता है जिसके दौरान एक मरीज में वायरस का पता लगाया जा सकता है. जो इस रोग में पांच दिन के बाद और गंभीर लक्षणों के साथ बाहर आता है. इसके चलते रोगी को आइसोलेशन के साथ पूरी मेडिकल हेल्प लेनी होती है. इससे पहले कि रोगी अन्य लोगों में वायरस का प्रसार कर सके, वह आइसोलेट हो कर इसे रोकता है.
दूसरी ओर कोविड -19 का मरीज लक्षण देखे जाने ठीक एक दिन पहले या उससे एक दिन पहले गंभीर रूप से संक्रमित हो सकता है. पत्रकारों के साथ एक ऑनलाइन वर्कशॉप में स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ हांगकांग के डॉ. लियो पून ने कहा, ‘इससे भी बदतर, एक बीमारी की शुरुआत से ठीक पहले वायरस की एक उच्च मात्रा का पता लगा सकता है. यह बताता है कि इन रोगियों द्वारा वायरस के प्रसार को रोकना मुश्किल क्यों है.’4 से 7 दिनों के बीच जीवित रह सकता है Coronavirus
वास्तव में कोविड-19 (Covid-19) का मरीज होने के बाद के पहले नौ दिनों में रोगी हल्के लक्षण दिखा सकता है वह दूसरों तक इस वायरस को प्रसारित भी कर सकता है. लंबे समय तक मानव शरीर के बाहरी सतहों पर जीवित रहने की क्षमता वायरस को और अधिक संक्रामक बना देता है. जो कुछ परीक्षणों से पता चला है कि यह 4 से 7 दिनों के बीच मास्क की बाहरी सतह पर जीवित रह सकता है.
प्रोफ़ेसर मलिक पेइरिस कहते हैं, ‘कोविद -19 को नियंत्रित करना मुश्किल है क्योंकि मरीज़ों को समय-समय पर लक्षण दिखते रहते हैं.’ हालांकि, कोविड -19 वायरस को श्रेणी के अन्य रोगजनकों की तुलना में अधिक स्थिर माना जाता है. इसकी मृत्यु दर तुलनात्मक रूप से बहुत कम है।
इसी कारण से यह संभावना है कि एक बार बीमारी के लिए विकसित वैक्सीन लंबी अवधि में अधिक प्रभावी होगी. फ्लू शॉट्स को हर साल लिया जाना होता है क्योंकि वायरस बदल जाता है और बदल जाता है. कोविड -19 वैक्सीन लंबी अवधि के लिए काम कर सकती है, लेकिन ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि वैक्सीन को विकसित होने में 12 महीने से ज्यादा लग सकते हैं.
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First published: April 1, 2020, 3:18 PM IST