(प्रतीकात्मक फोटो)
इसकी वजह है सेना (Army) की ओर से लिए गए चार कड़े फैसले. लॉकडाउन (Lockdown) के दो दिन पहले से ही सेना ने अपने फैसलों पर अमल शुरु कर दिया था.
सैनिकों और उनके परिवारों के लिए उठाए हैं यह कदम
वॉयस ऑफ एक्स सर्विसमैन सोसाइटी के महासचिव और सेना से रिटायर्ड बीर बहादुर बताते हैं कि सेना ने खतरे को भांपते हुए पहले ही लॉकडाउन का कदम उठा लिया था. सैन्य छावनियों में बनी चेकपोस्ट को सील कर दिया गया था. किसी भी बाहरी व्यक्ति के अंदर आने पर रोक लगा दी गई थी. अंदर वाला बाहर नहीं जा सकता था. 30 फीसद अफसर और 60 फीसदी जेसीओ को घर से काम करने के लिए कहा गया है.
कुछ जरूरी सामान जैसे सब्जी-दूध घरों तक पहुंचाया जा रहा है. इसके साथ ही मिलिट्री अस्पताल में ऐसे लोगों के आने पर रोक लगा दी गई है जो रेग्यूलर दवाई खाने वाले हैं. ऐसे लोगों से कहा गया है कि वो अप्रैल तक की दवा बाहर के बाज़ारों से ले ले. फिर 15 मई तक उस दवाई का बिल जमा करके उसके नकद पैसे ले लें.जनता की मदद के लिए भी सेना ने तैयार किया है प्लान
भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इस बीच आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा है कि सेना कोरोना वायरस से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है और किसी भी हालात से निपटने के लिए पूरी ताकत झोंक देगी. साथ ही उन्होंने कहा है कि सेना सिर्फ 6 घंटे की नोटिस पर आईसोलेशन वॉर्ड और आईसीयू तैयार कर सकती है. नरवणे के मुताबिक जब भी सेना को लोगों की मदद के लिए बुलाया जाएगा वे तुरंत आ जाएंगे.
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First published: March 27, 2020, 3:19 PM IST