
लॉकडाउन की वजह से दिहाड़ी मजदूर पैदल ही घर की तरफ निकल पड़े हैं.
दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूरों (Labours) का कहना है, ‘हमारे जेब में जो पैसे थे वह अब खत्म हो गए हैं. लॉकडाउन की वजह (During Lockdown) से कोई गाड़ी भी नहीं चल रही है. कोरोना (Coronavirus) से पहले हमलोग भूख से मर जाएंगे. चाहे 2 दिन लगे चाहे 2 हफ्ते. रास्ते मे रात में कहीं रुक जाएंगे फिर सुबह चल पड़ेंगे. लेकिन, यहां नहीं रह सकते. मालिक फैक्ट्री आता नहीं है बंद पड़ी है तो पैसे किससे मांगें.’
लॉकडाउन से दिहाड़ी मजदूर पैदल ही कर रहे हैं पलायन
इस बारे में जब दिल्ली सरकार के संबंधित मंत्रालय से न्यूज 18 हिंदी ने संपर्क की तो दिल्ली के श्रम मंत्री गोपाल राय के मीडिया कोर्डिनेटर ने कहा, ‘लॉकडाउन के दौरान दिल्ली के दिहाड़ी मजदूरों को दिल्ली सरकार ने 5-5 हजार रुपये देने का ऐलान किया है. दिल्ली सरकार ने यह फाइल एलजी के पास भेजी है. जैसे ही एलजी ऑफिस से फाइल आती है मजदूरों के खातों में 5 हजार रुपये पहुंच जाएंगे. दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड के तहत सभी पंजीकृत मजदूरों को यह सहायता राशि मुहैया कराई जाएगी.’

इन दिहाड़ी मजदूरों का कहना है कि हमारे जेब में जो पैसे थे वह अब खत्म हो गए हैं.
जब न्यूज 18 हिंदी ने सवाल किया कि जो मजदूर लेबर वेलफेयर बोर्ड के तहत पंजीकृत नहीं हैं, उन मजदूरों के लिए दिल्ली सरकार ने किस तरह का प्लान तैयार किया है.जो मजदूर पैदल अपने-अपने घर जा रहे हैं उनके लिए किस तरह का प्लान तैयार किया गया है? उन मजदूरों को खाने-पीने और रहने के लिए श्रम मंत्रालय क्या कर रही है? इस पर मीडिया कोर्डिनेटर ने कहा, ‘फिलहाल दिल्ली के सभी जिलों के एसडीएम को निर्देश दिए गए हैं कि वह खाने का पैकेट बांटे. आज से उन मजदूरों को खाने का पैकेट मिलना शुरू हो जाएगा. जहां तक बात है भूख से पलायन कर रहे मजदूरों और दिहाड़ी मजदूरों को चिन्हित करने का तो उस बारे में काम नहीं शुरू हुआ है. हमलोग जल्द ही इस बार काम शुरू करेंगे. इस बारे में अगर मीडिया को भी कोई जानकारी मिलती है तो वह हमसे साझा कर सकते हैं.’
दिहाड़ी मजदूरों के पैसे हुए खत्म
बता दें कि इन दिहाड़ी मजदूरों का कहना है, ‘हमारे जेब में जो पैसे थे वह अब खत्म हो गए हैं. लॉकडाउन की वजह से कोई गाड़ी भी नहीं चल रही है. कोरोना से पहले हमलोग भूख से मर जाएंगे. चाहे 2 दिन लगे चाहे 2 हफ्ते. रास्ते मे रात में कहीं रुक जाएंगे फिर सुबह चल पड़ेंगे. लेकिन, यहां नहीं रह सकते. मालिक फैक्ट्री आता नहीं है बंद पड़ी है तो पैसे किससे मांगें.’

दिल्ली में काम करने वाले कई दिहाड़ी मजदूर उत्तर प्रदेश के अलग अलग जिलों में अपने घरों के लिए दिल्ली-गाजीपुर सीमा से पैदल ही निकल पड़े हैं.
वहीं दिल्ली पुलिस का कहना है कि लॉकडाउन की स्थिति में ये मजदूर झूंड बना कर चल रहे हैं. इससे कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा और बढ़ रहा है. इसलिए हमलोग अब इन लोगों को रैन बसेरों तक या शेल्टर होम में छोड़ कर आ जाते हैं, लेकिन ये लोग रैन बसेरा में खाना कर फिर से अपने-अपने घर की तरफ निकल जाते हैं.’
यूपी पुलिस करेगी मदद
यूपी पुलिस के डीजीपी एचसी अवस्थी ने भी न्यूज 18 से बातचीत में बताया, ‘अन्य राज्यों से पलायन कर यूपी में पकड़े गए लोगों को घर पहुंचाने या उसी शहर में रुकने की व्यवस्था जिला प्रशासन करा रहा है. जिस राज्य से कामगार आ रहे हैं उस राज्य से संपर्क किया जा रहा है. उन्होंने संबंधित राज्यों की सरकारों से यह अपील भी की है कि यूपी के कामगारों को उनके काम करने के स्थान पर ही रोककर खाने पीने की व्यवस्था की जाए.इसके साथ ही यूपी पुलिस की इमरजेंसी सेवा 112 लगातार लोगों की मदद कर रही है. अगर आप कहीं भी फंसे हैं या इमरजेंसी की स्थिति है तो बेहिचक यूपी112 डायल करें. कुछ ही मिनटों में पीआरवी आपकी मदद के लिए पहुंचेगी.’
21 दिनों का है लॉकडाउन
बता दें कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिनों के लिए देशबंदी की घोषणा की है. लोगों को घरों के अंदर रहने के लिए कहा गया है. कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते शहर में मजदूरों के सम्मुख रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. कई दिन से मजदूर को काम नहीं मिल पाया है. दिहाड़ी मजदूरी करने वालों के पास कोई विकल्प नहीं हैं. मंगलवार को हुई घोषणा का सबसे ज्यादा प्रभाव इन्हीं लोगों पर पड़ा है. इन लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि वह इससे कैसे निपटें.
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First published: March 26, 2020, 3:19 PM IST