जापान सरकार ने कहा है कि टोक्यो ओलिंपिक को लेकर तैयारियां पूरी हैंं और इसे स्थगित करने की फिलहाल जरूरत नहीं है.
22 जुलाई से टोक्यो (Tokyo) में ओलिंपिक खेलों (Olympic Games) का आय़ोजन होना था, लेकिन अब इस पर कोरोना वायरस का खतरा मंडरा रहा है.
तो क्या रद्द हो जाएंगे ओलिंपिक खेल
ओलिंपिक खेलों (Olympic Games) के इतिहास में पहली बार किसी महामारी के कारण खेलों के रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है. अब तक इसे लेकर कुछ तय नहीं है, लेकिन इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि ओलिंपिक खेलों का आयोजन खतरे में है. अमेरिका के स्टेट्स ओलिंपिक और पैरालिंंपिक कमेटी के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ जोथाथन फिनऑफ टोक्यो (Tokyo) में कोरोना वायरस के दौरान ओलिंपिक खेलों के आय़ोजन पर काम कर रहे हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि आखिर खिलाड़ियों को इस दौरान क्या खतरा हो सकता है और वह किस तरह खेलों पर असर होगा.
ओलिंपिक के आयोजन पर कितना होगा असरपिछले 20 सालों से खेल जगत में काम कर रहे फिनऑफ ने कहा कि फिलहाल ओलिंपिक के रद्द होने को लेकर कोई अहम फैसला नहीं हुआ है. उम्मीद की जा रही है कि 22 जुलाई से शुरू हो रहे ओलिंपिक गेम्स तक स्थिति काबू में आ जाएगी. पिछली बार महामहारी का असर 2009 में देखने को मिला था. जिसकी शरुआत 2008 बीजिंग ओलिंपिक (Beijing Olympic) के दौरान हो गई थी. हालांकि ओलिंपिक के समय एच1एन1 फ्लू का असर ज्यादा नहीं था उस कारण खेलों पर कोई खतरा नहीं था. वहीं साल 2016 रियो ओलिंपिक (Rio Olympic) से पहले जीका वायरस का असर देखने को मिला था. हालांकि इस बार स्थिति अलग है लेकिन सभी अधिकारी खेलों के आयोजन को लेकर आश्वस्त हैं. अगले महीने सभी मेडिकल चीफ की मोनक्को में बैठक होने वाली है, जिसमें काफी विषयों पर चर्चा की जाएगी.
खिलाड़ियों पर होगा कितना असर
फिनऑफ (Jonathan Finoff) ने बताया कि अगर खेलों का आयोजन होगा तो खिलाड़ियों को बहुत ही सावधानी बरतनी होगी. उन्होंने कहा, ‘खिलाड़ियों को ध्यान रखना होगा कि वह लगातार अपना चेहरा और हाथ धोते रहें. अगर किसी को भी कोरोना वायरस के लक्षण दिखते हैं तो वह फौरन खुद को बाकियों से अलग करे.’ फिनऑफ ने बताया कि खिलाड़ियों में कोरोना वायरस के लक्षण कम हैं क्योंकि इस महामारी का असर ज्यादातर उम्रदराज लोगों में दिखता रहा है. वही लोग हैं जो ज्यादा खतरे में है. साथ ही अच्छी फिटनेस के कारण खिलाड़ियों में बीमारियों से लड़ने की क्षमता ज्यादा होती है.
मौजूदा टूर्नामेंटों का रद्द होना कितना सही है
कोरोना वायरस के कारण अब तक कई बड़े टूर्नामेंट रद्द किए जा चुके हैं. चाहे एनबीए (NBA) हो या इंग्लिश प्रीमियर लीग (English Premiere League). यह वह टूर्नामेंट हैं जिसमें स्टेडियम में पैर ऱखने की भी जगह नहीं होती थी. डॉ फिनऑफ का कहना कि यही वजह है कि इन टूर्नामेंट का खाली स्टेडियम में कराने को लेकर एडवाइजरी दी गई थी. फिनऑफ ने बताया कि आईओसी (IOC) और बाकी फेडरेशन को सलाह दी गई थी कि अगर खेलों को आयोजन करना है तो खाली स्टेडियम में आय़ोजित किए जाएं औऱ खिलाड़ियों को भी सर्तक रहने को कहा जाए. बड़ी तदाद में भीड़ में मौजूद लोगों में संक्रमण फैलने के आसार रहते हैं. हालांकि जब खिलाड़ियों में इसका असर दिखने लगा तो पूरे टूर्नामेंट ही रद्द कर दिए गए. रूड़ी गोबार्ट (Rudy Gobert) के कोरोना वायरस पॉजीटिव होने के कारण एनबीए को रद्द कर दिया गया वहीं इंग्लिश प्रीमियर लीग, टेनिस का फ्रेंच ओपन, एफ1 ग्रैंड प्रिक्स जैसे अहम टूर्नामेंट स्थगित हो गए.
किन खेलों पर होगा ज्यादा असर
डॉक्टर ने बताया कि खुली जगहों पर होने वाले खेलों में खिलाड़ियों के साथ दर्शकों के बीच भी अंतर रखना मुमकिन होता है. हवा होने के कारण वायरस के लोगों तक पहुंचने की स्थिति कम रहती है. हालांकि जब हम बैडमिंटन, स्वीमिंग जैसे खेलों की बात करते हैं तो यहां आसार ज्यादा होते हैं कि संक्रमित इंसान के आप करीब पहुंच जाते हैं. हालांकि उन्होंने साफ किया कि यह सिर्फ अनुमान है क्योंकि इसे लेकर डब्ल्यूएचओ (WHO) ने साफ तौर पर कुछ नहीं कहा है.
ओलिंपिक तो नहीं बन जाएगा संक्रमण फैलने का मुख्य कारण
ऐसा माना जा रहा है कि अगर ओलिंपिक खेलों का आयोजन होता है तो इस संक्रमण के फैलने का मुख्य कारण बन सकता है. इसका जवाब देते हुए डॉक्टर ने कहा कि अगर आपको किसी बीमारी के बारे में मालूम नहीं है और आप बिना सावधानी बरतें लाखों लोगों को साथ ले आएंगे तो ऐसा होगा. हालांकि आईओसी और डब्ल्यूएचओ और बाकी आय़ोजित कमेटी इसे लेकर शानदार काम कर रही हैं औऱ न सिर्फ खिलाड़ियों स्टाफ मेंबर को ही नहीं बल्कि वॉलियंटर्स को भी पूरी जानकारी दी जा रही है जो वक्त-वक्त पर दर्शकों को भी इस बारे में अवगत करते रहेंगे.
जापान में कोरोना वायरस को लेकर स्थिति चीन जैसी गंभीर नहीं
जापान की बात करें तो शुक्रवार तक वहां संक्रमित लोगों की संख्या की 965 थी. वहां मरने वालों की संख्या 40 हो चुकी है. जापान में पहला कोविड19 केस 16 जनवरी को पाया गया था. इसके बाद से धीरे-धीरे इसमें वृद्धि हुई है. जापान में हालांकि इसका उतना असर देखने को नहीं मिला जैसा चीन औऱ इटली में है. इसका मुख्य कारण है कि जापान में पहले से ही लोग बहुत ज्यादा भीड़ वाली जगहों पर जाना पसंद नहीं करते. साथ ही जापान के लोग थोड़ा बीमार होने पर ही मास्क का इस्तेमाल करते हैं जो इस तरह के वायरस से बचाता है.
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First published: March 21, 2020, 9:01 PM IST