दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने निर्भया गैंगरेप केस की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
निर्भया गैंगरेप (Nirbahya Gangrape Case) के समय दिल्ली के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर (CP) नीरज कुमार (Neeraj Kumar) कहते हैं, ‘मेरी मौजूदगी में चार्जशीट तैयार की गई. हमने इस केस में वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने पर विशेष जोर दिया था. बाद में इन्हीं वैज्ञानिक साक्ष्यों ने निर्भया के दोषियों को फांसी के अंजाम तक पहुंचाया.’
पूर्व पुलिस कमिश्नर का बड़ा खुलासा
नीरज कुमार कहते हैं, ‘हमने इस केस में देश में पहली फॉरेंसिक डेंटिस्ट्री तकनीक (Forensic Dental Testing Technique) का इस्तेमाल किया. हम लोगों ने वैज्ञानिक ढंग (Scientific Evidence) से सबूत जुटाए. इस केस में फॉरेंसिक, मैटीरियल, फिजिकल, डीएनए और तकनीकी सबूतों का इस्तेमाल किया गया. मोबाइल, बस, डीएनए, दांतों और जबड़ें की नाप के साथ बॉडी टू बॉडी डीएनए जांच करवाए गए.’
दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में इस केस से जुड़े कई खुलासे किए हैं. (फाइल फोटो)
कैसे तैयार हुई चार्जशीट
नीरज कुमार कहते हैं, ‘मेरी मौजूदगी में चार्जशीट तैयार की गई. हमने इस केस में वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने पर विशेष जोर दिया था. बाद में इन्हीं वैज्ञानिक साक्ष्यों ने निर्भया के दोषियों को फांसी के अंजाम तक पहुंचाया. यह वैज्ञानिक साक्ष्य भारत में पहली बार किसी अपराध के लिए आरोपियों को सजा दिलाने के लिए इस्तेमाल किया गया था. निर्भया कांड पहला ऐसा केस था, जिसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये विदेश से गवाह के बयान दर्ज हुए थे. आपको बता दें कि निर्भया की मौत सिंगापुर के अस्पताल में हुई थी. इसलिए उसका इलाज करने वाले डॉक्टरों के बयान वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए लिए गए.’
लड़की के जख्म बयां कर रहे थे किस तरह हैवानियत हुई थी
नीरज कुमार कहते हैं, ‘मेरी मौजूदगी में चार्जशीट तैयार की गई. हमने इस केस में वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने पर विशेष जोर दिया. बाद में इन्हीं वैज्ञानिक साक्ष्यों ने निर्भया के दोषियों को फांसी के अंजाम तक पहुंचाया. निर्भया कांड पहला ऐसा केस था, जिसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये विदेश से गवाह के बयान दर्ज हुए थे. आपको बता दें कि निर्भया की मौत सिंगापुर के अस्पताल में हुई थी. इसलिए उसका इलाज करने वाले डॉक्टरों के बयान वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए लिए गए.’
निर्भया के चारों दोषी पिछले सात साल से तिहाड़ जेल में बंद थे.
लड़की के जख्म बयां कर रहे थे किस तरह हैवानियत हुई थी
नीरज कुमार के मुताबिक, ‘सफदरजंग अस्पताल में भर्ती लड़की के जख्म बयां कर रहे थे कि जालिमों ने उसके साथ किस तरह से हैवानियत की थी. जिले की डीसीपी छाया शर्मा जब निर्भया से मिलीं तो वहां उसने साफ कहा कि मेरे साथ जिसने यह काम किया है उसको सजा मिले, वह छोड़े न जाएं.’
नीरज कुमार कहते हैं, ‘तीन-चार दिनों में सभी आरोपी पकड़े जा चुके थे, लेकिन देश में इसको लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. हमारे सामने दो तरह की परेशानी थी, एक इस केस में गिरफ्तार सभी आरोपियों के खिलाफ ठोस साक्ष्य तैयार करना और दूसरा दिल्ली में लगातार हो रहे उग्र प्रदर्शन से कैसे निपटें और इसके लिए किस तरह की रणनीति बनाई जाए? बहरहाल जो भी हुआ लेकिन, दिल्ली पुलिस दिन-रात काम में लगी और 18 दिन में हमने चार्जशीट दाखिल कर दी. हमारे ऑफिसर्स ने एक मजबूत चार्जशीट तैयार की और सभी आरोपी दोषी भी साबित हुए. यह मेरी जिंदगी का सबसे मुश्किल केस था.’
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First published: March 20, 2020, 2:56 PM IST