निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में चारों दोषियों को 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे फांसी दे दी गई.
तिहाड़ जेल (Tihar Jail) से जुड़े जानकार बताते हैं कि तिहाड़ जेल हो या कोई और जेल, जे परिसर में अंतिम संस्कार (Funeral) होने के अपने कायदे-कानून हैं.
ऐसे हालात में जेल के अंदर होता है अंतिम संस्कार
तिहाड़ जेल से जुड़े जानकार बताते हैं कि तिहाड़ जेल हो या कोई और जेल, जे परिसर में अंतिम संस्कार होने के अपने कायदे-कानून हैं. सबसे पहले तो यह देखा जाता है कि जिसे फांसी दी गई है तो क्या उसका शव बाहर जाने से कानून व्यवस्था पर कोई असर पड़ेगा. क्या जनता भड़क सकती है. क्या देश या किसी शहर में हिंसा भड़क सकती है. अगर इसकी रत्तीभर भी आशंका होती है तो शवों का पोस्टमॉर्टम के बाद जेल में ही अंतिम संस्कार किया जाता है. दूसरा यह कि ऐसा करने के लिए काफी सारी तैयारी करनी होती हैं, आला अफसरों की अनुमति लेनी होती है. जबकि निर्भया के इस केस में अभी तक अनुमति लेने की कोई प्रक्रिया शुरु नहीं हुई है.
अगर जेल में नहीं तो फिर ऐसे होगा अंतिम संस्कारएक संस्था के माध्यम से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाले विजय कुमार बताते हैं कि वैसे तो हमारी संस्था यूपी में लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करती है. लेकिन कभी-कभी जेल के अंदर से भी सूचना मिलत है कि सजायाफ्ता कैदी की मौत हो गई है. घर वालों ने शव को लेने से इंकार कर दिया है तो ऐसे में हमारी संस्था शव का अंतिम संस्कार करती है. तिहाड़ जेल सूत्रों की मानें तो अभी तक उनके घर वालों ने शवों को लेने का कोई दावा पेश नहीं किया है.
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First published: March 20, 2020, 8:55 AM IST