फांसी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
आज से 29 साल पहले यूपी में किसी गुनहगार को आखिरी बार फांसी दी गई थी. आगरा (Agra) की जिला जेल में बुलंदशहर के रहने वाले जुम्मन को 2 फरवरी 1991 को फांसी दी गई थी.
वैसे देश को आजादी मिलने के बाद से अभी तक यूपी में कुल 390 गुनहगारों को फांसी दी गई है. ये आंकड़ा पूरे देश में सबसे ज्यादा है. ज्यादातर राज्यों में दी गई फांसी का आंकड़ा सैकड़ों में नहीं बल्कि दहाई में ही है. यूपी और हरियाणा में ही ये आंकड़ा सैकड़ा में है. हरियाणा में अब तक 103 अपराधियों को फांसी दी गई है.
75 जेल हैं लेकिन सिर्फ 8 जेलों में है फांसी के इंतजाम
ये तथ्य भी अपने आप में अनोखा है. अमूमन ये माना जाता है कि सभी जेलों में फांसी की सज़ा दी जा सकती है लेकिन ऐसा नहीं है. यूपी के 75 जिलों में सिर्फ 8 ही ऐसी जेल हैं, जहां फांसी की सजा दी जा सकती है. ये जेल हैं- प्रयागराज नैनी सेंट्रल जेल, फैजाबाद, आगरा, गोण्डा, गोरखपुर, बरेली, फतेहपुर और मेरठ. इन्हीं जेलों में फांसी घर बनाये गए हैं. इनमें से मेरठ की जेल का फांसी घर ही दुरुस्त है.सिर्फ मथुरा की जेल में महिलाओं को फांसी देने की व्यवस्था
पूरे यूपी में सिर्फ मथुरा की जेल ही ऐसी है, जहां किसी महिला गुनहगार को फांसी दी जा सकती है. अमरोहा की शबनम को सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा हो चुकी है लेकिन उसने इसे रद्द करने के लिए पुनर्विचार याचिका डाली है. इस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है. यदि फांसी की सजा बरकरार रहती है और फांसी देने की नौबत आती है तो शबनम को मथुरा की जेल ही लाया जायेगा. शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी थी.
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First published: March 20, 2020, 8:55 AM IST