पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए नामित किया है.
सीजेआई रहते हुए रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) ने 27 मार्च 2019 को 18 से ज्यादा याचिकाओं की सुनवाई करते हुए ये बयान दिया था. अर्ध न्यायिक पैनल में रिटायर जजों के शामिल होने के मामले पर पूर्व सीजेआई गोगोई ने सख्त टिप्पणी की थी कि ऐसी नियुक्तियां न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर एक दाग (Scar) लगाता है.
पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने कब दिया था ये बयान?
सीजेआई रहते हुए रंजन गोगोई ने 27 मार्च 2019 को 18 से ज्यादा याचिकाओं की सुनवाई करते हुए ये बयान दिया था. अर्ध न्यायिक पैनल में रिटायर जजों के शामिल होने के मामले पर पूर्व सीजेआई गोगोई ने सख्त टिप्पणी की थी कि ऐसी नियुक्तियां न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर एक दाग (Scar) लगाता है.
पूर्व सीजेआई के मुताबिक, ‘रिटायरमेंट के बाद किसी जज के किसी पद पर अपॉइंटमेंट से देश की न्यायिक व्यवस्था की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े होते हैं. आप इसे हैंडल कैसे करेंगे? ये एक बड़ा सवाल है.’ बता दें कि रंजन गोगोई 17 नवंबर 2019 को प्रधान न्यायाधीश के पद से रिटायर हुए हैं.हाईकोर्ट सुप्रीमकोर्ट में खाली पदों पर भी उठाए थे सवाल
गोगोई ने इस दौरान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में खाली पड़े पदों पर भी टिप्पणी की. गोगोई ने कहा था कि यहां तक कि हाईकोर्ट कोलेजियम भी नियुक्तियां नहीं कर पा रहा है. पूर्व सीजेआई ने कहा था, ‘हर समस्या के लिए सरकार को दोष मत दीजिए. जजों की संख्या के मामले में हमारे राज्यों के हाईकोर्ट को देखिए. ऐसे में अगर हम कुछ अधिकार क्षेत्र ट्रिब्यूनल में ट्रांसफर करते हैं, तो न्यायिक व्यवस्था पर बढ़ता बोझ थोड़ा कम होगा.’
बतौर सीजेआई सुनाए थे कई अहम फैसलेरंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने अयोध्या मामले के अलावा, असम एनआरसी, राफेल, सीजेआई ऑफिस और आरटीआई के दायरे में जैसे कई ऐतिहासिक फैसले दिए.
विवादों में भी रहा था कार्यकाल
गोगोई अपने साढ़े 13 महीनों के कार्यकाल के दौरान कई विवादों में भी रहे. उन पर यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप भी लगे, लेकिन उन्होंने उन्हें कभी भी अपने काम पर उसे हावी नहीं होने दिया. वह बाद में आरोपों से मुक्त भी हुए. गोगोई उन 4 जजों में भी शामिल थे, जिन्होंने रोस्टर विवाद को लेकर ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी.
राज्यसभा के लिए नामित होने वाले पहले पूर्व सीजेआई नहीं हैं गोगोई
बता दें कि रंजन गोगोई भले ही राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनीत पहले पूर्व CJI हो, लेकिन वे राज्यसभा पहुंचने वाले पूर्व CJI नहीं है. इससे पहले पूर्व CJI रंगनाथ मिश्रा 1998 से 2004 के बीच राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं. उन्हें कांग्रेस ने अपनी टिकट पर राज्यसभा के लिए भेजा था. 1990 में CJI बनने वाले मिश्रा 1991 में अपने रिटायरमेंट के लगभग सात साल बाद कांग्रेस में शामिल हुए थे.
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First published: March 17, 2020, 3:09 PM IST