कोरोना का मरीज हुआ ठीक.
दिल्ली के मयूर विहार के रहने वाले रोहित दत्ता. यह नाम है राष्ट्रीय राजधानी के पहले कोरोना वायरस पीड़ित शख्स का, जो अब इस बीमारी के चंगुल से निकल चुके हैं.
रोहित दत्ता, पूरे 14 दिनों तक दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में बने आईसोलेशन वार्ड में रहे थे. वहां से निकलने के बाद उन्होंने इस बीमारी से जंग लड़ने की पूरी कहानी सुनाई. अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में रोहित दत्ता ने बीमारी की जद में जाने, उससे जंग लड़ने और फिर उबरने की पूरी कहानी बयां की.
फरवरी में गए थे इटली
टेक्निकल टेक्सटाइल बनाने वाली कंपनी के मालिक रोहित दत्ता पिछले महीने यानी फरवरी में इटली की यात्रा पर गए थे. उन्होंने बताया कि लेदर-एग्जीबिशन में शामिल होने के लिए वे जब इटली पहुंचे थे, उस समय कोरोना वायरस के बारे में न कोई खबर सुनी थी और न ही इस बारे में दुनिया को ही कुछ पता चला था. रोहित ने बताया कि इटली के बाद उन्होंने अपने दो रिश्तेदारों के साथ यूरोप के कुछ और देशों की यात्राएं भी की. भारत आने के बाद इन्हीं लोगों के संपर्क में आने से बाद आगरा में 4 अन्य लोगों में कोरोना का संक्रमण हुआ था.25 फरवरी को हुआ बुखार
रोहित दत्ता ने बताया कि यूरोप से लौटने के बाद 25 फरवरी को उन्हें पहली बार बुखार हुआ. दत्ता ने बताया कि वे स्वस्थ थे. यूरोप में रहने के दौरान उन तीनों लोगों ने पैदल यात्रा, 25 हजार से ज्यादा कदम चले थे. किसी भी लिहाज से वे खुद को बीमार नहीं मानते थे. इसलिए बुखार आना उन्हें सामान्य लगा, इसलिए पैरासिटामॉल की गोली लेकर वे सो गए. दूसरे दिन सुबह नजदीकी क्लीनिक गए, जहां डॉक्टर ने उन्हें 3 दिन की दवा दी.
बर्थडे पार्टी और टेस्ट निकला पॉजिटिवदत्ता ने बताया कि बुखार आने और डॉक्टर से चेकअप के बाद उन्हें कुछ भी असामान्य नहीं लगा था. इसलिए उन्होंने दिल्ली के मशहूर होटल में अपने बच्चे की बर्थडे पार्टी आयोजित की. इसमें उनके बच्चे के कुछ दोस्त और अभिभावक भी शामिल हुए. दत्ता ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि इस बीच कोरोना वायरस की खबरें फैलने लगी थीं. खासकर विदेश से लौटे लोगों में इसके संक्रमण की खबरें सरेआम हो रही थीं. लिहाजा, दत्ता और उनके परिवार को अब जाकर इसका आभास हुआ. उनकी पत्नी और कुछ दोस्तों ने जांच कराने की सलाह दी, जिसके बाद वे राममनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे. जांच के दौरान रोहित दत्ता को कोरोना से संक्रमित होने का पता चला और डॉक्टरों ने उन्हें तत्काल सफदरजंग हॉस्पिटल जाने की सलाह दी.
हॉस्पिटल में बेहतर इंतजाम
दिल्ली के पहले कोरोना वायरस संक्रमित शख्स रोहित दत्ता ने बताया कि सफदरजंग अस्पताल में उनका इलाज बेहतरीन ढंग से हुआ. उन्होंने बताया कि बीमारी को काबू में करने के लिए अस्पताल के डॉक्टर और अन्य कर्मी जितनी तेजी के साथ काम कर सकते थे, वे कर रहे थे. उन्होंने बताया कि बच्चे की बर्थडे पार्टी में उसके दोस्तों और दत्ता के परिजनों के शामिल होने की जानकारी के बाद अधिकारियों ने दूसरे दिन न सिर्फ उस स्कूल के अन्य बच्चों की जांच की, जहां उनका बेटा पढ़ता है, बल्कि परिजनों और दत्ता के दोस्तों का भी चेकअप किया गया.
दत्ता के अनुभव से मिलेगी सीख
रोहित दत्ता ने बताया कि सफदरजंग हॉस्पिटल का कोरोना आईसोलेशन वार्ड किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं है. यहां के डॉक्टर और अन्य स्टाफ मरीजों का बेहद अच्छे से ख्याल रखते हैं. दत्ता ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि मुझे पहली नजर में उस वार्ड को देखकर यकीन ही नहीं हुआ कि यह अस्पताल है. वह किसी लग्जरी होटल सरीखा था. उन्होंने बताया कि अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान उन्हें किसी भी दिन ये महसूस नहीं हुआ कि वे अलग-थलग पड़ गए हैं.
वे हर दिन वीडियो कॉल के जरिए अपने परिवारवालों से बात कर पाते थे. यहां तक कि अस्पताल में नेटफ्लिक्स एक्सेस करने तक की सुविधा थी. अस्पताल के स्टाफ मरीजों की देखभाल के साथ-साथ वहां की साफ-सफाई का बेहतर ख्याल रखते हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें अपना अनुभव साझा करते हुए इस बात की खुशी हो रही है कि उनके अनुभव से कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले दूसरे मरीजों को लाभ होगा.
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First published: March 17, 2020, 12:44 AM IST