प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार अब प्राइवेट स्कूलों के लिए शहर में सिटी बसें चलाएगी.
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार (Kamalnath Government) शहरी प्रदूषण (Pollution) को रोकने के लिए इंदौर में एक नया प्रयोग करने जा रही है. अब प्राइवेट स्कूलों के लिए शहर में सिटी बसें चलाईं जाएगी.
प्रदेश के शहरों में वाहनों की बढ़ती संख्या से सबसे ज्यादा ध्वनि और वायु प्रदूषण फैल रहा है. इसी के मद्देनजर इंदौर में ये अभिनव पहल की जा रही है. शहर की सड़कों पर वाहन संख्या कम करने और लोक परिवहन को बढ़ावा देने के मकसद से अब स्कूली छात्र-छात्राओं के लिए सिटी बसें चलाईं जाएंगी, जिसमें एक ही क्षेत्र के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को ले जाया जाएगा. इससे अलग-अलग स्कूलों को अपनी बसें नहीं चलानी पड़ेगी और वहीं उन स्कूलों को भी इसका फायदा मिलेगा जिनके खुद के पास अपनी बसें नहीं हैं.
तय समय पर ही चलेंगी ये बसें
ये बसें तय समय पर ही चलेंगी और इसमें सिर्फ स्कूली छात्रों को ही सवार होने की अनुमति होगी. फिलहाल ये बसें दो क्षेत्रों में चलाईं जाएंगी. ये प्रयोग सफल होने पर इनकी संख्या बढ़ाई जाएंगी. सिटी बस के सीईओ और नगर निगम के अपर आयुक्त संदीप सोनी का कहना है कि अभी 10-11 बसों को मॉडिफाई और सुधार करवाने के बाद स्कूल बसों के रूप में तैयार किया जाएगा. इन बसों का रंग पीला होगा और इन पर स्कूल बस लिखा होगा. ये बसें पूरे दिन नहीं चलेगी बल्कि स्कूल आने—जाने के ही समय पर सड़कों पर दिखेंगी.
सिटी बसों में अलग-अलग प्राइवेट स्कूलों के बच्चे एक साथ सफर करेंगे
बसों में पास सिस्टम रहेगा लागू
इन सिटी बसों में पास सिस्टम होगा. पास लेने वाले ही इन बसों में सफर कर पाएंगे. किसी तरह के टिकट बस में नहीं काटे जाएंगे. स्कूलों के बच्चों को कम राशि में मासिक पास मिलेगा जिनके जरिए वे स्कूल आना और जाना कर सकेंगे. इसका फायदा ये होगा कि एक स्कूल की बस अलग-अलग क्षेत्रों में रहने वाले अपने बच्चों को लेने के लिए एक-एक स्कूल को 10-20 बसें तक चलानी पड़ती है. इनकी जगह एक ही रूट पर स्कूलों के लिए जब एक दो बसें चलेंगी तो सड़कों पर बसों की संख्या भी कम होगी और ट्रैफिक भी दुरुस्त रहेगा. इससे प्रदूषण पर भी लगाम लगेगी. इसके साथ ही पेट्रोल डीजल की भी बचत होगी.
अभिभावकों ने किया स्वागत
राज्य सरकार के इस फैसले का अभिभावकों ने भी स्वागत किया है. अभिभावक गजेन्द्र रघुवंशी और अमित शर्मा का कहना है कि सरकार का यह बहुत अच्छा फैसला है क्योंकि एक-एक स्कूल बस में कभी-कभी 8-10 बच्चे ही बैठे दिखाई देते हैं और कॉलोनियों में ये बसें जाकर एक एक बच्चे को लेतीं है जिससे फ्यूल तो ज्यादा खर्च होता ही है साथ हम लोगों से मनमाना पैसा भी वसूला जाता है. अभिभावकों का कहना है कि अब एक ही तरफ के स्कूलों के लिए एक बस चलने से किराया भी सरकार तय करेगी जिससे जेब पर बोझ कम पड़ेगा. वहीं प्रदूषण और ट्रैफिक से भी लोगों को निजात मिलेगी
ऑटो यूनियन ने किया विरोध
इस फैसले का ऑटो यूनियन ने विरोध शुरू कर दिया है. ऑटो चालक महासंघ ने इसके खिलाफ कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर, इन फैसलों को वापस लेने की मांग की है. ऑटो चालक महासंघ के अध्यक्ष राजेश बिड़कर का कहना है कि स्कूलों के लिए सिटी बस चलाने की जरूरत नहीं है. बस से अच्छी सेवाएं तो हम ऑटो वाले दे रहे हैं. यूनियन का कहना है कि सिर्फ पूंजीपतियों को बढ़ावा देने के लिए ये बसें चलाईं जा रहीं हैं. हालांकि, नगर निगम कमिश्रनर आशीष सिंह का कहना है कि इसमें विरोध का कोई कारण नहीं बनता है. पहली बात तो हम पायलट बेसिस पर ये काम कर रहे हैं, दूसरा इसमें सभी स्कूलों की सहमति और डाटा लेकर इसे लागू करेंगे इसलिए इसमें विरोध की कोई गुंजाइश ही नहीं है.
एक्सीडेंट का खतरा कम होगा
फिलहाल इंदौर में स्कूली बच्चों को लाने और ले जाने के लिए 2500 बसें चलाईं जा रहीं हैं. इसके अलावा करीब 5 हजार स्कूली वैन, मैजिक और 4 हजार से ज्यादा ऑटो चलाए जा रहे हैं, जिनमें करीब 5 लाख बच्चे सफर करते हैं और स्कूल जल्दी पहुंचने की आपाधापी में अक्सर एक्सीडेंट का खतरा बना रहता है. कई बार एक्सीडेंट भी हो जाते हैं ऐसे में ये बसें सुरक्षित सफर भी सुनिश्चित करेंगी क्योकि ये बसें स्पीड गवर्नर, सीसीटीवी, जीपीएस से सिस्टम से लैस होंगी.
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First published: March 3, 2020, 10:40 AM IST